जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद ने प्रदेश स्तर पर नवंबर महीने की आइजीआरएस (एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली) रैंकिंग में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी मूल्यांकन रिपोर्ट में कमिश्नरेट के 19 थानों को उनकी कार्यप्रणाली, समयबद्ध शिकायत निस्तारण, पारदर्शिता और जनसंवाद के आधार पर सर्वोच्च रैंकिंग दी गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्रदेश में पहली बार गाजियाबाद ने इस रैंकिंग में प्रथम स्थान हासिल किया है। कमिश्नरेट द्वारा जारी सिटीजन चार्टर के तहत एफआइआर की प्रति और पोस्टमार्टम रिपोर्ट घर तक पहुंचाने, फीडबैक सेल गठन, वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिकायत निस्तारण जैसे प्रयोग किए गए हैं।
शिकायत निस्तारण में 93.28 प्रतिशत संतुष्टि दर
नवंबर माह में गाजियाबाद पुलिस ने आइजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त सभी संदर्भों का समय से पूर्व निस्तारण किया, जिससे एक भी प्रकरण डिफाल्टर श्रेणी में नहीं गया। इस अवधि में शासन द्वारा लिए गए 476 फीडबैक में से 444 आवेदकों ने कार्रवाई संतुष्टि जताई, जबकि मात्र 32 असंतुष्ट रहे।
कुल संतुष्टि दर 93.28 प्रतिशत दर्ज की गई, जो शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम 90 प्रतिशत मानक से अधिक है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा रैंडमली जांचे गए 11 संदर्भों की आख्या को उत्कृष्ट पाया गया। इसके अतिरिक्त 476 प्रकरणों में से 461 आवेदकों ने बताया कि संबंधित पुलिस अधिकारी ने उनसे संपर्क किया। जिससे कमिश्नरेट का संपर्क प्रतिशत 96.85 रहा जो शासन के 95 प्रतिशत मानक से ऊपर है।
वादी संवाद दिवस और शिष्टाचार नीति का सकारात्मक प्रभाव
पुलिस आयुक्त जे रविंदर गौड के निर्देशन में लागू की गई वादी संवाद नीति के तहत प्रत्येक बुधवार को सभी थानों में शिकायतकर्ताओं से आमने-सामने संवाद स्थापित किया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इससे पारदर्शिता, भरोसा और त्वरित समाधान की प्रक्रिया मजबूत हुई है। पुलिस आयुक्त ने अधीनस्थों के लिए शिष्टाचार संवाद नीति लागू की, जिसके तहत पुलिसकर्मियों को आप संबोधन का प्रयोग, महिलाओं की गोपनीयता की रक्षा और बच्चों व आगंतुकों के प्रति सहयोगी व्यवहार अपनाने के निर्देश दिए गए हैं।
अपराध रोकथाम के लिए कठोर निगरानी
लूट, डकैती, स्नैचिंग जैसे गंभीर अपराधों में संलिप्त पिछले 10 वर्षों के अपराधियों एवं वर्तमान में जमानत पर चल रहे आरोपितों को थानों पर तलब कर सख्त चेतावनी दी गई और पुनः अपराध न करने का लिखित-मौखिक आश्वासन लिया गया। विवेचना में वैज्ञानिक तरीकों और तकनीक के प्रयोग से जांच की गुणवत्ता बढ़ी है। धाराओं के बढ़ाने-घटाने और नाम जोड़ने या हटाने से पूर्व जोनल डीसीपी व एसीपी की मंजूरी अनिवार्य की गई है। इससे जांच सही दिशा में जाने की संभावना बढ़ी है।
जनता से संवाद और उनकी समस्याओं का समयबद्ध समाधान ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। आइजीआरएस में प्रथम स्थान गाजियाबाद पुलिस की पारदर्शिता, टीमवर्क और जनसेवा की प्रतिबद्धता का परिणाम है। हम आने वाले समय में भी इसी संवेदनशील, उत्तरदायी और पारदर्शी पुलिसिंग की दिशा में कार्य करते रहेंगे।
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जे रविंदर गौड, पुलिस आयुक्त |