म्यूजिक सिस्टम के तेज शोर ने ले ली व्यक्ति की जान

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म्यूजिक सिस्टम के तेज शोर ने ले ली व्यक्ति की जान  

-अस्पताल से लौट रहे थे घर, लेढूपुर में बरात में फंसे, डीजे बंद करने की गुहार नहीं सुनी

-डांस के चलते एक किलोमीटर तक लगा था जाम, हृदय में थी ब्लाकेज की समस्या

-डाक्टर ने तेज आवाज से दूर करने की दी थी सलाह, वाराणसी के छितौनी गांव निवासी थे रामसूरत



जागरण संवाददाता, वाराणसी : चौबेपुर क्षेत्र के छितौनी गांव निवासी 50 वर्षीय रामसूरत निषाद की सोमवार रात म्यूजिक सिस्टम (डीजे) की तेज आवाज के बीच जाम में फंसने के दौरान मौत हो गई। रामसूरत को दो साल से हृदय में ब्लाकेज की समस्या थी। वह पत्नी तारा देवी और भतीजे महेश निषाद के साथ माता आनंदमयी अस्पताल में डाक्टर को दिखा कर अपने गांव छितौनी लौट रहे थे। रात लगभग नौ बजे लेढ़ूपुर स्थित मैरिज लान के पास पहुंचे तो वहां बरात लगी हुई थी। म्यूजिक सिस्टम पर बराती डांस कर रहे थे। इससे करीब एक किलोमीटर तक सड़क पर जाम लगा था। इस जाम में फंसे तो तेज आवाज से उन्हें घबराहट होने लगी। स्वजन का कहना है कि उन लोगों ने बरातियों से हाथ जोड़कर विनती की कि म्यूजिक सिस्टम बंद कर दें। उनके पिता की तबीयत बहुत खराब है। रास्ता देने की भी लोगों से गुहार लगाई गई, लेकिन कोई सुनने को तैयार न था। बरातियों ने कहा कि यह शादी की बरात है और हम सिस्टम बंद नहीं कर सकते। अभी यह सब करते 20 मिनट ही हुए थे कि रामसूरत निषाद निढाल हो गए और उनकी सांसें थम गईं। घटना से परेशान तथा देर रात होने पर पत्नी तारा देवी व परिजन रामसूरत के शव को लेकर घर चले गए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



परिवारीजन का कहना है कि बीमारी के चलते डाक्टर ने उन्हें तेज आवाज से दूर रहने को कहा था। तेज आवाज के चलते हुई घबराहट, चिल्लाहट, बहस और फिर मौत के बीच का समय इतना कम था कि उन्हें अस्पताल ले जाने का मौका भी नहीं मिल सका। रामसूरत इलाके में गोलगप्पा का ठेला लगाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे।



पुलिस स्वत: संज्ञान लेकर करे मुकदमा

ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाले सत्या फाउंडेशन के सचिव चेतन उपाध्याय को यह जानकारी मिली तो उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर उन्हें संबल बंधाया। कहा कि भारत के कानून के मुताबिक दिन में भी अधिकतम 70 से 75 डेसीबल में ही साउंड को बजाया जा सकता है। तेज ध्वनि वाले साउंड पर दिन में भी कार्रवाई का भय कायम करने के लिए पुलिस को स्वतः संज्ञान लेकर मुकदमा करना होगा।





वर्जन



यदि कोई पहले से हृदय रोगी हो तो तेज आवाज में उसकी धड़कन अनियंत्रित हो सकती है। यदि वह पूर्व में तेज आवाज में तनाव में रहते हों तो मौत होने की आशंका हो सकती है।

प्रो. ओमशंकर, पूर्व विभागाध्यक्ष हृदय रोग विशेषज्ञ, बीएचयू।

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80 डेसीबल से ज्यादा आवाज खतरनाक है। इसका प्रभाव सिर्फ कान पर ही नहीं पूरे शरीर पर होता है। म्यूजिक सिस्टम की तेज आवास से किसी को घबराहट हो सकती है। हृदय अगर कमजोर है तो हार्ट बीट तेज हो सकती है। ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।



प्रो. विशंभर सिंह, ईएनटी विभाग, बीएचयू।
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