UGC ने कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को अतिरिक्त भाषा सीखने के लिए प्रोग्राम शुरू करने का दिया निर्देश, पढ़ें पूरी डिटेल

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ugc Learn One More Indian Language Program



एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। यूजीसी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को निर्देश दिया है कि वे छात्रों और शिक्षकों को एक अतिरिक्त भारतीय भाषा सीखने के लिए नया प्रोग्राम शुरू करें। यह पहल नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के उस प्रावधान से जुड़ी है, जिसमें देश की भाषाओं को बढ़ावा देने और अलग-अलग राज्यों के लोगों को एक-दूसरे की भाषा से परिचित कराने की बात कही गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लर्न वन मोर भारतीय भाषा कार्यक्रम के तहत होगा लागू

यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि \“लर्न वन मोर भारतीय भाषा\“ कार्यक्रम को सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में तुरंत लागू किया जाए। यह कार्यक्रम भारतीय भाषा समिति की सिफारिश पर तैयार किया गया है। UGC की ओर से इसके लिए दिशा निर्देश जारी किये गए हैं कि सभी शैक्षिक संस्थान छात्रों को इस कार्यक्रम से जोड़ने के लिए छोटे-छोटे इनसेंटिव तय करें।

इसमें सर्टिफिकेट, अतिरिक्त मार्क्स, एचओडी लेवल पहचान, या किसी अन्य अकादमिक लाभ को शामिल किया जा सकता है। आयोग का मानना है कि यदि स्टूडेंट्स को यह महसूस होगा कि भाषा सीखने से उन्हें भविष्य में फायदा मिलेगा, तो वे इस कार्यक्रम से उत्साहपूर्वक जुड़ेंगे। भाषा कोर्स शुरुआती स्तर का और छात्र के लिए आसान बनाने को कहा गया है। यूजीसी ने सभी संस्थानों से कहा है कि वे इस कार्यक्रम को बिना देरी लागू करें और अपने यहां कोर्स शुरू करने की तैयारी जल्द पूरी करें।
ऑफलाइन एवं ऑनलाइन कोर्स चलाने का रहेगा विकल्प

यूजीसी ने इस कार्यक्रम के लिए भाषा से संबंधित कोर्स की रूपरेखा भी साझा की है। यूजीसी की ओर से दिए निर्देश के मुताबिक कॉलेज या संस्थान चाहें तो स्थानीय समुदाय या भाषा विशेषज्ञों की मदद से ट्रेनर उपलब्ध करा सकते हैं। यह विश्वविद्यालय/ संस्थानों को तय करना होगा कि वे किस प्रकार से कोर्स उपलब्ध करवाएंगे। संस्थान चाहें तो ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों तरह के कोर्स उपलब्ध करवा सकते हैं। इसके लिए डिजिटल लेक्चर, ई-बुक और इंटरैक्टिव टूल्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं, ताकि स्टूडेंट्स आसानी से सीख सकें।

  
बेहतर कम्युनिकेशन के साथ नौकरी के अवसरों में होगी बढ़ोत्तरी

आयोग की ओर से साझा की गई डिटेल के मुताबिक युवाओं को कम से कम एक ऐसी भारतीय भाषा का ज्ञान होना चाहिए, जिससे वे दूसरे राज्य के लोगों से आसानी से बातचीत कर सकें। इसके लिए हर विवि और कॉलेज को ऐसा आसान भाषा कोर्स शुरू करना होगा, जिसे स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई के साथ आराम से कर सकें। आयोग ने कहा है कि दूसरी भाषा सीखने से छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होगी और नौकरी के अवसर भी बढ़ेंगे।
पहल के बावजूद संस्थान गंभीर नहीं

यूजीसी की इस गाइडलाइन के जारी होने से पहले मप्र में इसको लेकर पहल शुरू की जा चुकी है। अगस्त 2025 में हुई प्रदेश के सभी सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने निर्देश दिए थे कि प्रमुख भारतीय भाषाएं छात्रों को सिखाई जाएंगी। 17 विश्वविद्यालयों में तमिल, कन्नड़, मराठी, तेलुगू, पंजाबी, सिंधी, गुजराती, मलयालम आदि भाषाओं के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और क्रेडिट कोर्स शुरू करने की योजना थी। विश्वविद्यालयों को भाषाएं भी आवंटित की जा चुकी हैं। भोपाल के बीयू को तमिल तो इंदौर के डीएवीवी को मराठी, तेलुगू, ग्वालियर के जीवाजी को कन्नड़ की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि इस पर विवि द्वारा गंभीरता से काम शुरू नहीं किया गया है। कोर्स शुरू नहीं किए जा सके हैं।

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