ठंड से बचते बच्चे। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, गुमला। जिले में कड़ाके की ठंड अपने चरम पर पहुंच गई है। न्यूनतम तापमान छह डिग्री सेल्सियस से भी नीचे दर्ज किया गया, जिससे हाड़ कंपाने वाली ठंड ने जनजीवन पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। सुबह और शाम के समय सड़कें सुनसान दिख रही हैं, बाजारों में चहल-पहल कम हो गई है और लोग आवश्यक कार्यों को छोड़कर घर से बाहर निकलने से बच रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कड़ाके की ठंड के कारण खासकर बुजुर्गों, बच्चों और दैनिक मजदूरों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सर्द हवाओं के कारण सुबह-सवेरे काम पर निकलने वाले मजदूरों और खेत-खलिहानों में काम करने वाले किसानों की दिनचर्या बाधित है। कई क्षेत्रों में स्कूल जाने वाले बच्चों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ठंड का प्रकोप इतना अधिक है कि कई गांवों में लोग सुबह देर तक घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। ठंड की भयावह स्थिति के बावजूद जिला प्रशासन की तैयारियां अभी तक धरातल पर नहीं दिख रही हैं। शहर हो या प्रखंड मुख्यालय कहीं भी अलाव की प्रभावी व्यवस्था नजर नहीं आ रही है।
आमतौर पर दिसंबर की शुरुआत में मुख्य चौराहों, बस स्टैंड, अस्पताल परिसर और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में अलाव जलाए जाते थे, लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल उलट है।
कहीं कहीं ही अलाव दिखाई दे रहा है। ठंड से कांपते लोग प्रशासन से तत्काल राहत उपाय शुरू करने की मांग कर रहे हैं। शीतलहर के बीच जरूरतमंदों के लिए बनाए गए रैन बसेरे भी उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं।
शहर के रैन बसेरों में न तो पर्याप्त कंबल और बिस्तर की व्यवस्था है और न ही उचित रखरखाव। कई जरूरतमंदों को इन रैन बसेरों के बारे में जानकारी तक नहीं है, जिससे वे खुले में ठंड से जूझने को मजबूर हैं।
शहर के खड़ियापाड़ा में 50 बेड का बना रैन बसेरा की उपयोगिता शून्य है। बिजली वायर चोरी हो चुका है। खिड़की का शीशा टूटा हुआ। बाथरुम का दरवाजा टूटा हुआ है। दुर्गंध भी फैल रहा है। कमरों में बेड लगा है लेकिन शहर से किनारे होने के कारण कोई नहीं जाता है।
दूरी होने के कारण नगर परिषद द्वारा बड़ाईक माेहल्ला में रैन बसेरा बनाया गया लेकिन उसकी उपयोगिता ही शून्य है। रख रखाव के कारण जर्जर हो चला है। बढ़ती ठंड को लेकर लोगों का कहना है कि मुख्य बाजारों, अस्पतालों, धार्मिक स्थलों और आमजन के आवागमन वाले स्थानों पर तत्काल अलाव की व्यवस्था की जाए।
साथ ही रैन बसेरों की स्थिति सुधारी जाए और जरूरतमंदों तक इसकी जानकारी पहुंचाई जाए। ठंड बढ़ने के साथ आम लोगों की समस्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जिला प्रशासन को शीघ्र सक्रिय होकर ठंड से राहत के उपाय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि जनजीवन सामान्य हो सके और लोगों को ठंड से राहत मिल सके।
अलाव लगाने को लेकर नगर परिषद द्वारा झूठे दावे किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि चार जगह अलाव की व्यवस्था की गई है। सोमवार को जब इसकी पड़ताल की गई तब पता चला कि केवल दो स्थान पटेल चौक और सदर अस्पताल में अलाव का खानापूर्ति व्यवस्था किया गया है।
दो- चार लकड़ी के टूकड़े जलाकर अलाव नाम दिया गया था। जो महज चंद मिनटों में जल जाएंगे। इसके अलावा शहर के किसी भी स्थान में अलाव का व्यवस्था नहीं किया गया था। शहर के ललित उरांव बस स्टैंड में कई लोग कंबल ओढ़कर सोये पाए गए।
भीखु भगत व सुखराम सिंह दोनों मजदूरी करते हैँ। रात्रि में यहीं सोते हैं। कुछ दिन पूर्व इन्हें समाजसेवी द्वारा कंबल उपलब्ध कराया गया था उसकी भी चोरी हो गई।
क्या कहते हैं नगर परिषद?
शहर के चार स्थानों में अलाव का व्यवस्था कराया गया है। पटेल चौक, टावर चौक, बस स्टेंड व सदर अस्पताल परिसर में प्रत्येक दिन अलाव का व्यवस्था किया जा रहा है। नप अपना जिम्मेवारी पूरा निभा रहा है।
-मनीष कुमार ,नप प्रशासक गुमला
कंबल आवंटन प्रकियाधीन है। प्रशासन इसे लेकर सजग है। एक सप्ताह के भीतर कंबल जरुरतमंदों के बीच वितरित कर दिया जाएगा। -ललन रजक, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा गुमला |