सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, पीलीभीत। सरकार ने किरायेदारी के लिए होने वाले अनुबंध में स्टांप व स्टांप शुल्क में 90 फीसद तक कम कर दिया है। इसका उद्देश्य अनुबंध पत्रों को बढ़ावा देना है। अधिकारियों का मानना है कि अनुबंध पत्रों के बढ़ने से राजस्व में बढ़ोतरी होगी। पहले एक साल से पांच साल तक की किरायेदारी में शहर में चार व ग्रामीण क्षेत्रों में दो फीसद स्टांप शुल्क देना पड़ता था लेकिन यह सुविधा सिर्फ दुकान व मकान, रेस्टोरेंट के लिए थी। टोल प्लाजा व खनिज पट्टों के इससे अलग रखा गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अभी तक लगते थे दस हजार, अब एक हजार में पंजीकृत होगा एग्रीमेंट
पहले शहर क्षेत्र में दो लाख के एक साल के अनुबंध पर हजार के स्टांप व दो हजार स्टांप फीस देनी पड़ती थी। दो साल से पांच साल तक के अनुबंध पर 24 हजार के स्टांप व छह हजार स्टांप फीस, पांच से 10 साल के अनुबंध पर 32 हजार के स्टांप व आठ हजार रुपये स्टांप फीस देनी पड़ती थी। चार फीसद तक स्टांप शुल्क होने से ज्यादातर अनुबंध नहीं कराते थे। ऐसे में किराएदार व मालिकों के बीच विवाद बढ़ रहे थे।
अनुबंधाें में होगा इजाफा
अफसरों का मानना है कि सरकार के इस निर्णय से किरायेदारी के अनुबंधों में इजाफा होगा। अनुबंध बढ़ेंगे तो सरकार के राजस्व में बढ़ेगा। चार प्रतिशत स्टांप शुल्क के कारण किरायेदारी अनुबंध को अधिकांश लोग पंजीकृत नहीं कराते हैं। लेकिन अब इन अनुबंध का पंजीकरण खूब होगा। प्रत्येक भवन मालिक और किरायेदार अनुबंध करेंगे और उसे पंजीकृत भी कराएंगे। प्रदेश सरकार ने अनुबंध पर निर्धारित स्टांप शुल्क को 90 प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया है।
अभी होते हैं हर महीने 15, बदलाव से पंजीकृत होंगे 50 अनुबंध
शासन ने किरायेदारी के विवाद को कम करने के लिए उनके एग्रीमेंट को पंजीकृत कराने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार ने स्टांप शुल्क और निबंधन शुल्क की राशि को 90 प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस फैसले की सूचना प्रदेश के सभी जनपदों को कई दिन पहले भेजी गई थी।
अनुबंध पांच साल का है तो यह शुल्क 30 हजार रुपये होता था जो कि अब मात्र तीन हजार रुपये ही रह जाएगा। 10 वर्ष की अवधि के अनुबंध में यह शुल्क 40 हजार रुपये से घटकर चार हजार रुपये हो जाएगा। इसी प्रकार दो से छह लाख तक वार्षिक किराया तथा छह से दस लाख तक वार्षिक किराया राशि के लिए स्टांप शुल्क की राशि को पूर्व निर्धारित शुल्क से केवल दस प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
अभी होते हैं हर महीने 15, बदलाव से पंजीकृत होंगे 50 अनुबंध
आइजी स्टांप सतीश त्रिपाठी ने बताया कि सरकार का फैसला अच्छा है। इससे अधिकांश भवन मालिक और किरायेदार अपने अनुबंध का पंजीकरण कराएंगे। अभी तक पंजीकरण का न कराने का कारण स्टांप शुल्क की राशि को बचाना था। लेकिन अब स्टांप शुल्क और निबंधन शुल्क की राशि नाममात्र ही रह गई है। जिसके बाद अनुबंध के पंजीकरण की संख्या दस गुना तक ज्यादा हो जाएगी। उसी के मुताबिक स्टांप और निबंधन शुल्क की आय भी बढ़ जाएगी। जनपद में हर महीने 70 से 80 अनुबंध का पंजीकरण औसतन होता है। इस वर्ष अक्टूबर तक 812 किरायेदारी अनुबंध पंजीकृत हुए हैं। इसका शासनादेश भी प्राप्त हो गया है।
ये होंगे लाभ
- प्रत्येक भवन मालिक और किरायेदार कराएंगे अनुबंध और उसका पंजीकरण।
- भवन मालिक और किरायेदारों के विवाद कम होंगे।
- पारदर्शिता बढ़ेगी, अवैध एजेंटों पर रोक लगेगी।
- निबंधन विभाग की आय बढ़ेगी।
बदला हुआ स्टांप एवं निबंधन शुल्क (2025 के अनुसार)
एक वर्ष तक के अनुबंध
वार्षिक किराया राशि पुराना शुल्क नया शुल्क (₹) कमी (₹)
2 लाख तक 10,000 1,000 9,000
2 से 6 लाख तक 30,000 3,000 27,000
6 से 10 लाख तक 50,000 5,000 45,000
पांच वर्ष तक के अनुबंध
वार्षिक किराया राशि पुराना शुल्क नया शुल्क कमी
2 लाख तक 30,000 3,000 27,000
2 से 6 लाख तक 90,000 9,000 81,000
6 से 10 लाख तक 1,50,000 12,000 1,38,000
दस वर्ष तक के अनुबंध
वार्षिक किराया राशि पुराना शुल्क नया शुल्क कमी
2 लाख तक 40,000 4,000 36,000
2 से 6 लाख तक 1,20,000 15,000 1,05,000
6 से 10 लाख तक 2,00,000 20,000 1,80,000
शासन ने किरायेदारी रजिस्ट्री पर शुल्क घटा दिया है। इससे लोग अब आसानी से अपना किराया नामा कम शुल्क में बनवा सकते है। इसके लिए लोगों को किरायेदारी के लिए अनुबंध कराने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। सरकार ने फीस इतनी कम कर दी है कि अब किसी को अनुबंध कराने में दिक्कत नहीं होना चाहिए। जो लोग अनुबंध नहीं कराएंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। - सतीश त्रिपाठी, आईजी स्टांप पीलीभीत |