विदेश मंत्री एस. जयशंकर। फाइल फोटो
नई दिल्ली, प्रेट्र। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि परंपराएं, भाषाएं, संगीत, शिल्पकला और अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के अन्य स्वरूप मानव संस्कृति की सबसे लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति हैं, जो सभी की साझा संपत्ति हैं और सभी द्वारा संरक्षित की जाती हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रविवार को लाल किले में आयोजित अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आइसीएच) के संरक्षण पर यूनेस्को की महत्वपूर्ण बैठक के उद्घाटन समारोह में जयशंकर ने यूनेस्को की भूमिका को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया और कहा कि विरासत को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी वैश्विक समुदाय की सामूहिक प्रतिबद्धता है।
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भारत पहली बार कर रहा है आयोजन
भारत पहली बार इस अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की मेजबानी कर रहा है, जो आठ से 13 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में नामांकन पर विचार करेंगे, मौजूदा प्रविष्टियों की स्थिति की समीक्षा करेंगे और संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्णय लेंगे।
जयशंकर ने कहा कि शांति और समृद्धि की वैश्विक यात्रा में सांस्कृतिक धरोहर का पोषण और उसका भावी पीढि़यों तक संवहन अत्यंत आवश्यक है। उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र ¨सह शेखावत, यूनेस्को के महानिदेशक खालिद एल-एनानी, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और भारत के यूनेस्को में स्थायी प्रतिनिधि विष्णाल वी. शर्मा मौजूद रहे।
लाल किला, जिसे मुगल सम्राट शाहजहां ने शाहजहानाबाद की राजधानी के किले और महल के रूप में बनवाया था, स्वयं एक विश्व धरोहर स्थल है और इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन का प्रतीकात्मक स्थल बना हुआ है। भारत ने इस मौके पर विषयगत दीर्घाओं से लेकर पारंपरिक प्रदर्शन कलाओं तक, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को लाल किला परिसर में भव्य रूप से प्रदर्शित किया है। |