कोसी-मेची परियोजना का इंतजार होगा खत्म। सांकेतिक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, पटना। लगभग एक दशक की प्रतीक्षा के बाद, अगले वर्ष की शुरुआत में, कोसी-मेची नदी जोड़ो परियोजना का निर्माण-कार्य धरातल पर शुरू हो जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य सिंचाई नेटवर्क के विस्तार के साथ कोसी परिक्षेत्र व सीमांचल में बाढ़ के खतरे का प्रबंधन करना भी है।
परियोजना के पहले चरण के निष्पादन के लिए लगी निर्माण कंपनी (ऋत्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड) मौजूदा नहर का सर्वेक्षण कर रही। सर्वेक्षण और डिजाइन का काम दिसंबर तक पूरा होने के बाद धरातल पर काम शुरू होने की संभावना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह कार्य टर्न-की आधार पर आवंटित है, जिसके अंतर्गत निर्माण कंपनी को 2682.73 करोड़ रुपये की लागत से जमीनी कार्य शुरू करने से पहले सर्वेक्षण, डिजाइन और ड्राइंग का काम पूरा करना है।
6282.32 करोड़ की अनुमानित लागत वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना का निर्माण मार्च, 2029 तक पूरा करना है। इसके अंतर्गत कोसी से मेची में अतिरिक्त पानी के स्थानांतरण से बाढ़ का खतरा काफी कम हो जाएगा।
इसके साथ ही सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, खगड़िया, अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जिलों में अतिरिक्त 2.14 लाख हेक्टेयर परिक्षेत्र के लिए सिंचाई सुविधा का विस्तार होगा।
निर्माण कंपनी को गाद प्रबंधन का एक स्थायी तरीका भी विकसित करना है, जो पुराने चैनल के लिए अभिशाप रहा है। चूंकि नहर मुख्य रूप से पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है, इसलिए नेपाल से अनियंत्रित पानी के प्रवाह के कारण उत्तर ओर एक बड़ा भूभाग वर्षा-ऋतु में जलमग्न हो जाता है। नए डिजाइन में जलभराव को दूर करने के लिए क्रास रेगुलेटर और नहर साइफन की परिकल्पना की गई है।
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई-एआइबीपी) के अंतर्गत मार्च 2025 में महत्वाकांक्षी कोसी-मेची नदी इंटरलिंकिंग परियोजना को स्वीकृति दी है। इसके कुल अनुमानित खर्च में 3,652.56 करोड़ केंद्र सरकार दे रही है।
हालांकि, राज्य सरकार की अपेक्षा इस परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा देने और केंद्र सरकार से 90 प्रतिशत वित्तीय सहायता पाने की थी। दरअसल, धन की व्यवस्था और पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं होने के कारण परियोजना लंबित होती गई। 2022 में डीपीआर अपडेट हुई। 2024-25 के केंद्रीय बजट में बिहार में सिंचाई और बाढ़ प्रबंधन के लिए 11500 करोड़ रुपये सहायता की घोषणा हुई। उसके बाद प्रारंभिक काम शुरू हुआ।
दो चरण में पूरी होगी परियोजना
पहला चरण : बीरपुर से हनुमान नगर तक 41 किलोमीटर लंबी कोसी नदी की पूर्वी मुख्य नहर को मजबूत किया जाएगा, ताकि जल वहन क्षमता 15000 क्यूसेक से बढ़ाकर 20000 क्यूसेक हो सके। इस चरण के अंतर्गत ड्रोन सर्वे, एलाइनमेंट सत्यापन और भूमि सर्वेक्षण चल रहा है।
दूसरा चरण : नेपाल सीमा के समानांतर 76 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद, नहर को महानंदा की सहायक मेची नदी तक बढ़ाया जाएगा। इसके लिए राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण द्वारा डीपीआर को अंतिम रूप दिए जाने के बाद जल संसाधन विभाग भूमि अधिग्रहण शुरू करेगा।
क्या हैं इस परियोजना के लक्ष्य
कोसी नदी के अधिशेष जल को पूर्वी कोसी मुख्य नहर के माध्यम से महानंदा बेसिन की मेची नदी में ले जाना है। इससे वर्षा-ऋतु में अतिरिक्त पानी को नियोजित रूप से मोड़ा जाएगा, जिससे कोसी बेसिन में बाढ़ का खतरा कम होगा।
सिंचाई विस्तार : अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार जिलों के लगभग 2.15 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी। इसमें चार शाखा नहर और छह वितरणियां सम्मिलित होंगी।
नहर की लंबाई : नहर की कुल लंबाई 117 किमी होगी, जिसमें वर्तमान पूर्वी कोसी मुख्य नहर का 76.2 किमी विस्तार सम्मिलित है। यह नेपाल सीमा के निकट मेची नदी तक पहुंचेगी। |