जयराम महतो और प्रशांत किशोर। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, धनबाद। Prashant Kishor, Jan Suraaj: हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव-2025 में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी को करारी पराजय का सामना करना पड़ा। चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे करने वाली पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जनसुराज ने 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसका प्रदर्शन उम्मीद से कहीं नीचे रहा। पार्टी को कुल 16,77,583 वोट मिले, जो लगभग 3.34% वोट शेयर रहा। इनमें से 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जबकि केवल एक सीट पर उम्मीदवार दूसरे स्थान पर पहुंच सका।
देश के चर्चित चुनावी रणनीतिकार और I-PAC के संस्थापक प्रशांत किशोर की यह हार राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी का संगठनात्मक ढांचा और नेतृत्व चुनावी मैदान में कमजोर साबित हुआ।
इसी मुद्दे पर झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के संयोजक और डुमरी से विधायक जयराम महतो ने प्रशांत किशोर की रणनीति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, सेनापति का रणभूमि में होना बेहद ज़रूरी होता है। प्रशांत किशोर ने खुद चुनाव न लड़कर बड़ी गलती की। यदि वे मैदान में उतरते, तो माहौल और परिणाम दोनों बदल सकते थे।
महतो ने झारखंड में JLKM के प्रदर्शन का उदाहरण देते हुए कहा कि जनता उसी नेतृत्व पर भरोसा करती है जो उनके बीच खड़ा होता है। 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में JLKM ने 81 में से 68 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी को कुल 10.31 लाख वोट मिले और उसका वोट शेयर 6.1% रहा। JLKM ने एकमात्र जीत डुमरी सीट से दर्ज की, जहां से जयराम महतो स्वयं विजयी हुए।
महतो का कहना है कि जनता केवल भाषणों और रणनीतियों से नहीं, बल्कि जमीन पर संघर्ष करते नेताओं से प्रभावित होती है। उन्होंने दावा किया कि अगर प्रशांत किशोर स्वयं चुनाव लड़ते, तो जनसुराज का मनोबल भी बढ़ता और शायद नतीजे भी बेहतर आते।
प्रशांत किशोर अपनी गलती से हारे, अगर सेनापति न हो मैदान में सेना हार जाती है @JLKMJHARKHAND pic.twitter.com/kYf9ppSsOH— Tiger jairam mahto - inquilabi (@JairamTiger) December 6, 2025 |