क्यों नोबेल पुरस्कार आज भी सबसे खास है? (Image Source: X)  
 
  
 
  
 
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अक्टूबर का महीना शुरू होते ही दुनिया की निगाहें एक ऐसे पुरस्कार पर टिक जाती हैं, जिसे पाना हर वैज्ञानिक, लेखक और समाज सेवी का सपना होता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं नोबेल पुरस्कार की। हर साल इन पुरस्कारों की घोषणा होती है और इस बार यह सिलसिला (Nobel Prize 2025) 6 अक्टूबर से शुरू होकर 13 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें मेडिसिन, फिजिक्स, केमिस्ट्री, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दुनिया के सबसे खास लोगों को सम्मानित किया जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
  
कहानी एक आविष्कारक की सोच से शुरू हुई  
 
नोबेल पुरस्कार की कहानी शुरू होती है अल्फ्रेड नोबेल से- एक स्वीडिश वैज्ञानिक, आविष्कारक और उद्योगपति, जिन्होंने दुनिया को डायनामाइट दिया। हालांकि, इस खोज ने उन्हें जितनी प्रसिद्धि दी, उतनी ही आलोचना भी। बाद में नोबेल ने यह निश्चय किया कि उनकी संपत्ति का उपयोग ऐसे कार्यों में हो, जो मानवता को आगे बढ़ाएं।  
 
इसी विचार से उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा कि हर साल उन लोगों को पुरस्कार दिया जाए जिन्होंने विज्ञान, साहित्य या शांति के क्षेत्र में “मानवता के लिए सबसे बड़ा योगदान” दिया हो। इसके बाद 1901 में पहली बार नोबेल पुरस्कार दिए गए और तब से यह परंपरा हर साल जारी है।  
 
  
कैसे चुने जाते हैं विजेता?  
 
नोबेल पुरस्कार की चयन प्रक्रिया को लेकर हमेशा जिज्ञासा बनी रहती है (Why Nobel Prize Is Prestigious)। दरअसल, कोई भी व्यक्ति खुद को इसके लिए नामित नहीं कर सकता। नामांकन केवल योग्य संस्थान या विशेषज्ञ ही भेज सकते हैं। और सबसे दिलचस्प बात कि इन चर्चाओं और नामों को 50 साल तक गुप्त रखा जाता है।  
 
विज्ञान के पुरस्कारों के लिए निर्णायक मंडल बेहद सतर्क रहता है। किसी खोज को तब तक मान्यता नहीं दी जाती जब तक यह साबित न हो जाए कि वह मानव जीवन में स्थायी लाभ पहुंचा रही है। वहीं, शांति पुरस्कार अक्सर वर्तमान परिस्थितियों और विश्व के संकटों से जुड़ा संदेश भी देता है।  
 
  
सिर्फ मेडल नहीं है सम्मान का प्रतीक  
 
नोबेल विजेताओं को न केवल दुनिया की सराहना मिलती है, बल्कि उन्हें मिलते हैं:  
  
 - 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 10 करोड़ रुपये), 
 
  - 18 कैरेट सोने का मेडल और 
 
  - एक आधिकारिक डिप्लोमा। 
 
    
 
एक पुरस्कार अधिकतम तीन विजेताओं के बीच साझा किया जा सकता है, लेकिन असली पुरस्कार है वह सम्मान, जो पूरी दुनिया के सामने उनकी मेहनत, सोच और योगदान को अमर कर देता है।  
 
  
समय के साथ बदलता अर्थ  
 
नोबेल पुरस्कार सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं है, यह वर्तमान का आईना भी है। हाल के वर्षों में कोविड वैक्सीन, जलवायु परिवर्तन, महिलाओं की शिक्षा और वैश्विक असमानताओं पर किए गए कार्यों को सम्मानित किया गया है। ये पुरस्कार न केवल उपलब्धियों का सम्मान करते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि आज मानवता के सामने कौन से मुद्दे सबसे अहम हैं।  
आज भी क्यों है यह इतना खास?  
 
नोबेल पुरस्कार आज भी \“प्रतिष्ठा\“ का पर्याय इसलिए है क्योंकि यह केवल उपलब्धि नहीं, बल्कि नैतिकता और जिम्मेदारी का प्रतीक है। यह याद दिलाता है कि ज्ञान और नवाचार का असली उद्देश्य सिर्फ खोज नहीं, बल्कि समाज का उत्थान है।  
 
  
 
एक सदी से अधिक समय से नोबेल पुरस्कार यह संदेश देता आ रहा है कि असली महानता सत्ता या धन में नहीं, बल्कि उस विचार में है जो दुनिया को बेहतर बनाता है। नोबेल सिर्फ एक सम्मान नहीं, यह मानवता पर भरोसे का प्रतीक है।  
 
Source: NobelPrize.org  
 
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