जागरण संवाददाता, चंदौली। वर्तमान में चंदौली से कोलकाता पहुंचने में सड़क मार्ग से 13 से 14 घंटे का समय लगता है, लेकिन आने वाले दिनों में यह दूरी महज छह घंटे में तय कर ली जाएगी। यह संभव होगा भारतमाला एक्सप्रेस-वे से। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हालांकि, भारतमाला परियोजना के तहत चंदौली से कोलकाता तक एक्सप्रेस-वे के निर्माण में अभी तीन साल और लगेंगे। यह एक्सप्रेस वे 686 किमी लंबा व सौ मीटर चौड़ा यानी आठ लेन का रहेगा तथा इससे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व बंगाल जुड़ जाएंगे। इसके निर्माण में लगभग 24,275 करोड़ की धनराशि खर्च होगी।
पिछले वर्ष से शुरू इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण का उद्देश्य काशी को कोलकाता से सीधे तौर पर जोड़ना है। यह एक्सप्रेस-वे झारखंड की राजधानी रांची से होकर जाएगी।
चंदौली से शुरू होकर यह एक्सप्रेस-वे भभुआ, सासाराम, औरंगाबाद, बोकारो, रांची व पुरुलिया होते हुए कोलकाता जाएगा। चंदौली जनपद में यह एक्सप्रेस-वे लगभग 22 किमी लंबा होगा, जबकि बिहार में इसकी लंबाई 159 किमी होगी।
फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री ने रखी थी आधारशीला
भारतमाला परियोजना को 2019 में ही स्वीकृति मिल गई थी। अन्य प्रदेशों में इसका निर्माण पहले ही शुरू हो चुका है, जबकि चंदौली से कोलकाता तक एक्सप्रेस-वे क निर्माण के लिए आधारशीला फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी थी। इसके बाद से ही निर्माण की गति तेज हो गई।
चंदौली में 31 गांव से होकर गुजरेगा एक्सप्रेस-वे
चंदौली जनपद के 31 गांव से एक्सप्रेस वे होकर गुजरेगा। जगह-जगह पुलों का निर्माण शुरू हो गया है। बीच में भूमि आदि को लेकर विवाद होने के कारण रुका था, लेकिन अब किसानों और प्रभावित आवासों का मुआवजा दिया जा चुका है। उप जिलाधिकारी अनुपम मिश्र ने बताया कि 90 प्रतिशत भूमि निर्माण एजेंसी को उपलब्ध करा दी गई है। एक्सप्रेस-वे का निर्माण भी तेज गति से शुरू हो गया है।
एक्सप्रेस-वे से पूर्वी भारत के साथ-साथ प्रदेश को मिलेगा लाभ
एक्सप्रेसवे के निर्माण से व्यापार को बढ़ावा देने, निर्यात बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप पूर्वी भारत में उद्योगों का विकास होगा, जिस मार्ग से एक्सप्रेसवे गुजरेगा, विशेष रूप से कोलकाता के आसपास के क्षेत्रों में, और दो प्रमुख बंदरगाहों - कोलकाता और हल्दिया के साथ समुद्र के पास स्थित होने के कारण, खनिज समृद्ध राज्य झारखंड में स्थित प्रसिद्ध इस्पात संयंत्रों और कोयला खदानों, बोकारो स्टील प्लांट और धनबाद की कोयला खदानों से बंदरगाहों तक इस्पात और कोयले के परिवहन के लिए एक बड़ा लाभ होगा।
इससे चार राज्यों में आर्थिक विकास और वृद्धि में तेजी आएगी। इसके साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। झारखंड और पश्चिम बंगाल के पश्चिमी भाग में, छोटे-छोटे पर्यटन स्थलों की बहुतायत है, लेकिन उन क्षेत्रों तक पहुंच की कमी के कारण अधिकांश लोगों के लिए यह अपेक्षाकृत अज्ञात हैं।
काशी से सीधे जुड़ जाएगा बंगाल
एक्सप्रेस-वे वाराणसी और कोलकाता के बीच 710 किलोमीटर का सीधा मार्ग बनाएगा, इससे यात्रा का समय और दूरी दोनों 14 से 11 घंटे कम हो जाएगी।
यह न केवल वाराणसी को जोड़ेगा, बल्कि कोलकाता को राष्ट्रीय राजधानी के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर से भी सीधे जोड़ेगा, एक्सप्रेसवे की एक शृंखला के माध्यम से, इसके साथ ही पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेसवे से दिल्ली और दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे के माध्यम से जम्मू और कश्मीर तक जुट जाएगा। वाराणसी तक जाने वाला यह एक्सप्रेस-वे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के माध्यम से चंबल एक्सप्रेसवे के जरिए राजस्थान को भी जोड़ेगा।
यह भी जानें
- 2019: एक्सप्रेसवे की योजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित
- 2023 जनवरी: परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू हुआ।
- 2023 मार्च: एक्सप्रेसवे के आठ पैकेजों के निर्माण के लिए 15 बोलीदाताओं ने भाग लिया।
- 2023 अप्रैल: झारखंड खंड के लिए बोली प्रक्रिया पूरी हो गई है और भूमि अधिग्रहण शुरू हो गया।
- 2024 फरवरी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए आधारशिला रखी गई।
413 किलोमीटर लंबे झारखंड (रांची)-वाराणसी खंड पर निर्माण कार्य भौतिक प्रगति के विभिन्न चरणों में है। वन मंजूरी में विलंब होने सहित अन्य कारणों से कई स्थानों पर काम रुका हुआ है। चंदौली में अधिग्रहित भूमि खाली करा ली गई है। निर्माण की गति में तेजी आई है। प्रोजेक्ट को पूरा होने में करीब तीन वर्ष लग जाएगा।
- संचित मंगला, परियोजना प्रबंधक, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। |