COAI का मानना है कि अधिकारियों को मीटर-स्तर की सटीकता वाला लोकेशन डेटा चाहिए होता है।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। सरकार को कथित तौर पर जून में सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया(COAI) से एक प्रस्ताव मिला, जिसमें कहा गया कि यूजर लोकेशन्स तभी दी जानी चाहिए अगर ऑलवेज-ऑन स्मार्टफोन लोकेशन ट्रैकिंग अनिवार्य किया जाए। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक, Apple, Google, और Samsung ने प्राइवेसी कंसर्न्स का हवाला देकर प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। फिलहाल, न तो MeitY या गृह मंत्रालय ने कथित तौर पर कोई डिसीजन लिया है और न आने वाले दिनों में एक स्टेकहोल्डर मीटिंग होने की उम्मीद है। बता दें कि हाल ही में, संचार साथी ऐप को जरूरी बनाने के बारे में डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन्स (DoT) के सर्कुलर का भी विरोध हुआ था और आखिरकार उसे रद्द कर दिया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
COAI ने कथित तौर पर डिवाइस-लेवल लोकेशन ट्रैकिंग का प्रस्ताव दिया
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, Reliance और Bharti Airtel का प्रतिनिधित्व करने वाले इंडस्ट्री ग्रुप COAI ने प्रस्ताव दिया है कि स्मार्टफोन मेकर्स सैटेलाइट-बेस्ड Assisted GPS (A-GPS) ट्रैकिंग को इंटीग्रेट करें जो हमेशा एक्टिव रहे। पब्लिकेशन द्वारा देखे गए एक ईमेल का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ये प्रस्ताव जरूरी हो जाता है, तो अधिकारी मीटर-लेवल की सटीकता के साथ यूजर की लोकेशन का पता लगा सकते हैं, जो मौजूदा तरीकों से कहीं ज्यादा सटीक है, जो सेल टावर ट्रायंगुलेशन पर निर्भर हैं और सिर्फ एरिया का मोटा-मोटा अनुमान देते हैं।
मीडिया आउटलेट्स द्वारा रिव्यू किए गए डॉक्यूमेंट्स और इंटरनल ईमेल्स से पता चलता है कि प्रपोजल में यूजर्स की लोकेशन सर्विसेज से ऑप्ट आउट करने की एबिलिटी को डिसेबल करना भी शामिल है। पॉप-अप नोटिफिकेशन्स अभी यूजर्स को अलर्ट करते हैं जब कैरियर्स उनके लोकेशन डेटा को एक्सेस करने की कोशिश करते हैं। प्रपोजल में कथित तौर पर उन अलर्ट्स को भी हटाने की बात कही गई है। इसके पक्ष में दिए गए तर्कों में क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन के दौरान टारगेट को अलर्ट न करना और चोरी या फ्रॉड डिवाइसेस को ट्रेस करना शामिल है।
लॉबिंग ग्रुप इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA), जो एपल और गूगल को रिप्रेजेंट करता है, ने कथित तौर पर जुलाई में सरकार को एक कॉन्फिडेंशियल लेटर भेजा था, जिसमें बताया गया था कि इस तरह का कदम \“दुनिया में कहीं और\“ पहले नहीं उठाया गया है। खास बात ये है कि दोनों स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों के साथ-साथ सैमसंग ने भी सरकार से इन नियमों को जरूरी न करने की अपील की है।
ऑलवेज-ऑन लोकेशन ट्रैकिंग को जबरदस्ती करने के प्रपोजल के खिलाफ कुछ तर्क दिए गए हैं। जैसे- यूजर प्राइवेसी को कमजोर करना, सेंसिटिव ग्रुप्स (जर्नलिस्ट, जज और डिफेंस पर्सन) को सर्विलांस रिस्क में डालना, और यूजर कंसेंट से जुड़े ग्लोबल नियमों का उल्लंघन करना। अभी तक सरकार ने कोई आखिरी फैसला नहीं लिया है। रेगुलेटर्स और स्मार्टफोन बनाने वालों के बीच होने वाली मीटिंग कथित तौर पर पोस्टपोन कर दी गई, जिससे इस मुद्दे पर लगातार बातचीत का पता चला।
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