तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। वन्यजीवों के बढ़ते हमलों ने विभागीय अधिकारियों की पेशानी पर बल डाले हुए हैं। इसे देखते हुए स्थिति से निबटने को नवाचार पर जोर दिया जा रहा है। इसी कड़ी में वन विभाग के मुखिया प्रमुख वन संरक्षक (हेड आफ फारेस्ट फोर्स) रंजन कुमार मिश्र ने प्रभागीय वनाधिकारियों (डीएफओ) को निर्देश दिए हैं कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए बच्चों व महिलाओं को प्लास्टिक तुरही और सीटियां बांटी जाएं। इनका उपयोग वे जंगल व उससे लगे रास्तों व क्षेत्रों से गुजरते समय करेंगे।
राज्य में वन्यजीवों के निरंतर बढ़ते हमलों ने चिंता और चुनौती दोनों बढ़ा दी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री सुबोध उनियाल के साथ ही शासन स्थिति पर नजर रखे हुए है। इसी क्रम में वन विभाग के मुखिया रंजन कुमार मिश्र भी सभी वन प्रभागों के डीएफओ के संपर्क में हैं। मिश्र ने शुक्रवार को मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के उपाय तेज करने की दिशा में सभी डीएफओ के साथ हुई बैठक में निर्देश जारी किए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मिश्र ने कहा कि इस संघर्ष को थामने के लिए नवाचार पर भी ध्यान देना आवश्यक है। इस क्रम में उन्होंने रुद्रप्रयाग और गढ़वाल वन प्रभाग के संवेदनशील क्षेत्रों में बच्चों व महिलाओं को सीटी वितरण के प्रयोग का उल्लेख किया। इन क्षेत्रों में बच्चों व महिलाओं को सलाह दी गई है कि जंगल व उससे लगे रास्तों, क्षेत्रों से गुजरते समय वे सीटियां बजाएं।
इससे वन्यजीवों को उनकी उपस्थिति का अहसास होगा और आमना-सामना होने की स्थिति से बचा जा सकेगा। उन्होंने निर्देश दिए कि अन्य वन प्रभागों में भी यह प्रयोग अमल में लाया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि 11 वन प्रभागों में एक माह के लिए 142 व्यक्तियों को फायर वाचर की तर्ज पर रखा गया है।
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स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा वन्यजीवों से बचाव का विषय
अल्मोड़ा व हरिद्वार के डीएफओ ने बैठक में कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के संबंध में जागरूकता बढ़ाने में स्कूल सशक्त माध्यम हैं। इस पर मिश्र ने वन संरक्षक गढ़वाल को निर्देश दिए कि वह भालू, गुलदार, बाघ, हाथी व सांप आदि से बचाव के लिए जरूरी सावधानी बरतने के संबंध में दिशा-निर्देशों का ड्राफ्ट उपलब्ध कराएं। इस ड्राफ्ट को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए शिक्षा विभाग से अनुरोध किया जाएगा।
होटल, रिसार्ट व ढाबा संचालकों पर कसेगी नकेल
ऐसे होटल, रिसार्ट व ढाबा संचालक जो अपने यहां अपशिष्ट प्रबंधन उचित रूप से न कर अपशिष्ट पदार्थों को वन क्षेत्रों अथवा यत्र-तत्र डाल देते हैं, उन पर भी नकेल कसी जाएगी। वन विभाग के मुखिया ने सभी डीएफओ को निर्देश दिए कि वे ऐसे होटल, रिसार्ट व ढाबा संचालकों को नोटिस जारी करें कि वे ऐसा कदापि न करें और कचरे का उचित प्रबंधन करें।
चारे के लिए पशुपालन से लेंगे सहयोग
संवेदनशील क्षेत्रों में लोगों से चारा-लकड़ी के लिए जंगल में न जाने का आग्रह भी विभाग करेगा। इन क्षेत्रों में मवेशियों के लिए चारे की उपलब्धता के लिए पशुपालन विभाग का सहयोग लेने के निर्देश डीएफओ को दिए गए हैं।
यह भी दिए निर्देश
- जिन क्षेत्रों वन्यजीवों को रेस्क्यू करने को पिंजरा लगाने व ट्रेंकुलाइज की जरूरत हो, उसका तत्काल भेजें प्रस्ताव।
- जिन क्षेत्रों में खतरनाक घोषित वन्यजीव को पकड़ने या मारने की अनुमति बढ़ानी हो, उसका भी भेजे प्रस्ताव
- वन सीमा से सटे क्षेत्रों में कड़का, फंदा हटाने के लिए नियमित रूप से हो एंटी स्नेयर गश्त।
- फाक्स लाइट, बुश कटर, सोलर लाइट, पिंजरे क्रय करने के कार्य में न हो कोई शिथिलता।
- किसी भी क्षेत्र में घटना होने पर डीएफओ अनिवार्य रूप से मौके पर पहुंचे।
- कचर प्रबंधन, सोलर लाइट व झाड़ी कटान में सहयोग के लिए डीएम के संपर्क में रहें।
- जंगल की आग की रोकथाम के लिए अभी से प्रारंभ कर दी जाएं तैयारियां।
- जंगलों में पानी की व्यवस्था के दृष्टिगत वाटर होल की मरम्मत कर उनमें रखा जाए पर्याप्त पानी।
इन प्रभागों में माहभर को उपलब्ध कराई गई मानव शक्ति
| प्रभाग | संख्या | | गढ़वाल | 15 | | रुद्रप्रयाग | 15 | | केदारनाथ | 15 | | टिहरी | 12 | | गोविंद वन्यजीव विहार | 10 | | चंपावत | 10 | | नरेन्द्रनगर | 15 | | उत्तरकाशी | 15 |
| बदरीनाथ, | 15 | | नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क, | 10 | | पिथौरागढ़, | 10 |
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