बिहार शिक्षा विभाग
जागरण संवाददाता, गोपालगंज। शिक्षा विभाग में आदेशों की लगातार हो रही अवहेलना पर जिला अपीलीय प्राधिकरण, गोपालगंज ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) का वेतन तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश जारी कर दिया है।
प्राधिकरण की इस कार्रवाई ने विभागीय स्तर पर हलचल मचा दी है और इसे हाल के वर्षों की सबसे कड़ी प्रशासनिक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
आवश्यक विचार-विमर्श हेतु कई बार बुलाया
प्राधिकरण के अध्यक्ष ओमप्रकाश द्वारा 05 दिसंबर 2025 को जारी पत्र संख्या 251 के अनुसार, डीपीओ (स्थापना) को कई महत्वपूर्ण मामलों पर आवश्यक विचार-विमर्श हेतु कई बार बुलाया गया। इसके लिए 24 सितंबर, 10 नवंबर, 26 नवंबर और 02 दिसंबर 2025 को क्रमशः पत्र संख्या 213, 231, 243 और 247 जारी किए गए थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ये नोटिस सी.डब्ल्यू.जे.सी. संख्या 15639/2025 (संजय कुमार यादव बनाम बिहार राज्य एवं अन्य) से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों, तथा मिस्केस संख्या 15/2025 और 16/2025 की सुनवाई के संदर्भ में भेजे गए थे। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से डीपीओ न तो कभी प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित हुए और न ही किसी प्रकार का उचित उत्तर प्रस्तुत किया।
मामलों के निपटारे में अनावश्यक विलंब
अपीलीय प्राधिकरण ने पत्र में साफ लिखा है कि अधिकारी की इस उदासीनता के कारण गरीब वादियों को न्याय के लिए इधर-उधर चक्कर लगाने पड़े और मामलों के निपटारे में अनावश्यक विलंब हुआ।
स्थिति के मद्देनजर प्राधिकरण ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अब उसके पास कठोर कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। इसी के तहत डीपीओ स्थापना का वेतन रोकने का आदेश जारी किया गया है। यह प्रतिबंध तब तक जारी रहेगा, जब तक अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर 24 सितंबर 2025 से संबंधित मिस्केस संख्या 00 में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराते।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों में हड़कंप
वेतन रोकने का यह आदेश निदेशक, प्राथमिक शिक्षा, बिहार, पटना और जिलाधिकारी, गोपालगंज को भी भेजा गया है, ताकि आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। इस कड़े निर्णय के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति है।
माना जा रहा है कि यह कदम प्रशासनिक अनुशासन को मजबूती देने वाला साबित होगा और अधिकारियों को आदेशों के अनुपालन के प्रति और अधिक जवाबदेह बनाएगा।
जिला अपीलीय प्राधिकरण का यह निर्णय एक स्पष्ट संदेश देता है। सरकारी आदेशों से लापरवाही अब सीधे वेतन रोक तक पहुँचेगी, जवाबदेही से बचने की कोई गुंजाइश नहीं। |