सरकार की ओर से बालू एवं लघु खनिज के आवंटन पर रोक बरकरार है, लेकिन धंधा जारी हैष
संवाद सूत्र, जागरण सतबरवा (पलामू) । पलामू जिले के प्रखंड क्षेत्रों में इन दिनों बालू का अवैध कारोबार तेजी से चल रहा है। औरंगा नदी के सलैया, हुडमुड, फुलवरिया, पलामू किला मेला घाट, लेदवाखांड, डुबलगंज और धमधमवा से दर्जनों गाड़ियां बालू ढुलाई में लगी हुई हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सूत्रों के अनुसार खानापूर्ति और दिखावे के लिए कभी-कभार ही प्रशासन द्वारा छापेमारी कर एक-दो गाड़ियों को पकड़ा जाता है। इस धंधे में अधिकरियों की मिलीभगत से सफेदपोश नेता और छोटे-बड़े कारोबारी शामिल हैं।
सतबरवा में एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह अवैध खेल शासन-प्रशासन के सहयोग के बिना संभव नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि महीने में लाखों रुपये की अवैध कमाई की जाती है।
जब गाड़ियां पकड़ी जाती हैं, तो जुर्माना भरकर छूट जाती हैं और फिर से बालू ढुलाई जारी रहती है। कई बार एक ही गाड़ी को पकड़ा गया, जुर्माना दिया और फिर वही गाड़ी काम में लगी रही। सूत्रों के अनुसार, एक दलाल-बिचौलिया पूरे बालू ढुलाई नेटवर्क को नियंत्रित करता है और पैसा ऐंठता है।
औरंगा नदी के कई घाटों से दिन और रात दोनों समय बेखौफ ट्रैक्टर बालू ले जाते देखे जा सकते हैं। बताते चलें कि अक्टूबर 2025 में शांति समिति की बैठक में यह मामला जोरदार ढंग से उठाया गया था।
हालांकि, कुछ राजनीतिक दलों ने इसे टाल दिया। अब तक सीओ कृष्ण मुरारी तिर्की द्वारा केवल चार ट्रैक्टर जब्त किए गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन की कार्रवाई प्रतीकात्मक है। स्थानीय लोग कहते हैं कि अगर प्रशासन वाकई गंभीर होता तो सैकड़ों ट्रैक्टर पकड़े जा सकते थे।
कई ट्रैक्टर संचालकों को पहले से सूचना मिल जाती है कि कब और कहां छापा पड़ेगा। अवैध बालू ढुलाई से सरकार को राजस्व नहीं मिलता, लेकिन प्रभावित इलाके में मौजूद लोग इससे लाभान्वित होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल प्रशासनिक गंभीरता ही इस कारोबार पर लगाम लगा सकती है। |