LHC0088 • 2025-12-5 10:06:38 • views 373
राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और पिछड़े क्षेत्र के निवासियों के आरक्षण में कटौती का प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजा है। उपराज्यपाल के मुहर लगाने के बाद आरक्षण फिर से निर्धारित 50 प्रतिशत के दायरे में आ जाएगा। कैबिनेट ने बुधवार रात आरक्षण में कटौती का प्रस्ताव को पारित किया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विदित हो कि लगभग दो वर्ष पूर्व उपराज्यपाल प्रशासन की स्वीकृति के बाद केंद्र सरकार ने पहाडि़यों और गुज्जर-बकरवाल को 10-10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी, जिससे शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण की सीमा बढ़कर 60 प्रतिशत हो गई थी। उमर मंत्रिमंडल के इस फैसले को लेकर दुर्गम और पिछड़ा वर्ग के निवासियों ने नाराजगी जताई है और उनके कोटे में कमी आने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
आरक्षण के मुद्दे को लेकर सक्रिय
वहीं, कश्मीर के नेता पहाड़ियों के आरक्षण के मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं और इसके बहाने आरक्षण में कमी की वकालत कर रहे हैं। नेकां के भीतर इस मुद्दे पर खींचतान भी चल रही है।पिछले वर्ष मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर युवाओं ने आरक्षण के मुद्दे पर प्रदर्शन किया था, जिसमें नेकां के सांसद आगा सैयद रुहुल्ला भी शामिल हुए थे। इसके बाद उमर सरकार ने विचार करने के लिए कैबिनेट उपसमिति का गठन किया था।
अब उमर सरकार ने मंत्रिमंडल में आरक्षण को 50 प्रतिशत के दायरे में लाने पर मुहर लगा दी है। सरकार ने अभी तक समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन विश्वसनीय सूत्र बता रहे हैं कि प्रस्ताव में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और दुर्गम पिछड़ा क्षेत्र वर्ग के कोटे में कटौती की सिफारिश की गई है।
जम्मू-कश्मीर में फिलहाल आरक्षण की स्थिति इस प्रकार है:
- -आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग: 10 प्रतिशत
- -दुर्गम पिछड़ा क्षेत्र: 10 प्रतिशत
- -अनुसूचित जनजाति वर्ग-एक और वर्ग
- -दो: 10-10 (कुल 20 प्रतिशत)
- -अनुसूचित जाति: 8 प्रतिशत
- -अन्य पिछड़ा वर्ग: 8 प्रतिशत
- -वास्तविक नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सटे निवासी: 4 प्रतिशत
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