नई दिल्ली। ग्रेटर नोएडा में स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस द्वारा कोविड-19 से जुड़ी एक मेडिकल क्लेम को खारिज करने के मामले में जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को फटकार लगाई है। आयोग ने स्पष्ट किया कि किसी मरीज के उपचार की विधि या अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता का निर्णय बीमा कंपनी नहीं, बल्कि चिकित्सक ही कर सकते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने बीमाकर्ता को लगभग ₹50,000 रुपये ब्याज सहित तथा ₹2,000 मुकदमेबाजी खर्च 30 दिनों के भीतर अदा करने का निर्देश दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
घर पर आइसोलेशन का हवाला देकर क्लेम खारिज
यह मामला दादरी निवासी नीतू नागर द्वारा दायर शिकायत से संबंधित है। उन्होंने बताया कि उनके पति अजय नगर स्टार हेल्थ की फैमिली हेल्थ ऑप्टिमा इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत 2018 से कवर थे। पॉलिसी हर वर्ष बिना किसी अंतराल के नवीनीकृत की जाती रही थी।
जनवरी 2022 में, पॉलिसी के चौथे वर्ष में, अजय नगर को तेज बुखार और सांस लेने में दिक्कत होने पर ग्रेटर नोएडा के यथार्थ अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार ने बीमा कंपनी को भर्ती से पहले सूचित कर दिया था और उम्मीद थी कि कुछ दिनों में कैशलेस क्लेम मंजूर हो जाएगा।
लेकिन अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद बीमा कंपनी ने बिलों का भुगतान करने से इनकार कर दिया। कुल ₹49,423 का खर्च परिवार को खुद वहन करना पड़ा। जब रीइम्बर्समेंट भी नहीं मिला, तो नीतू नागर ने 3 अगस्त 2022 को कंपनी को कानूनी नोटिस भेजा, जिसका कोई जवाब नहीं मिला।
बीमाकर्ता का बचाव: \“अस्पताल में भर्ती की जरूरत नहीं थी\“
सुनवाई के दौरान स्टार हेल्थ ने तर्क दिया कि उसने पॉलिसी की शर्तों के अनुसार ही कार्रवाई की। कंपनी के अनुसार मेडिकल दस्तावेजों में केवल बुखार और शरीर दर्द की साधारण शिकायतें दर्ज थीं और मरीज को असिम्प्टोमैटिक कोविड बताया गया था।
कंपनी ने दावा किया कि ऐसे मामलों में सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार घर पर आइसोलेशन में उपचार संभव है, इसलिए अस्पताल में भर्ती को उचित नहीं माना गया और क्लेम खारिज कर दिया गया।
डॉक्टर का फैसला सर्वोपरि
26 नवंबर को जारी आदेश में आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य अंजू शर्मा ने बीमा कंपनी के तर्क को खारिज कर दिया। आयोग ने कहा “यदि चिकित्सक अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता महसूस करते हैं, तो बीमा कंपनी यह नहीं कह सकती कि उपचार घर पर ही होना चाहिए।“
आयोग ने इसे बीमा कंपनी की सेवा में कमी (Deficiency in Service) माना और निर्देश दिया कि स्टार हेल्थ अस्पताल का पूरा खर्च ब्याज सहित दे। |