शिकारे में सवारी का लुत्फ लेने के साथ खरीदारी करते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। भोपाल की बड़ी झील गुरुवार सुबह कुछ अलग ही चमक रही थी। पानी की हल्की लहरों के बीच जब रंगीन शिकारे एक-एक कर उतरने लगे तो लगा जैसे कश्मीर की डल झील का माहौल अचानक अपर लेक पर उतर आया हो। बोट क्लब पर जमा भीड़ पहली बार इन खूबसूरत नावों को देखकर उत्साहित थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
राज्य सरकार ने कोलकाता से 20 शिकारे मंगाए हैं और गुरुवार को इनका शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। मुख्यमंत्री सबसे पहले बोट क्लब पर मौजूद क्रूज पर पहुंचे, जहां उन्होंने टेलिस्कोप से सूर्य के ब्लैक स्पाट्स देखे। इसके बाद वे शिकारा नाव की ओर बढ़े। पानी में तैरते नक्काशीदार शिकारे देखते ही उनसे कश्मीर का जिक्र खुद-ब-खुद हो गया।
उन्होंने शिकारा में बैठकर कुछ वस्त्र भी खरीदे, जैसे पर्यटक डल झील में खरीदारी करते हैं। कार्यक्रम में मौजूद लोग यह दृश्य देखकर उत्साहित थे, क्योंकि भोपाल में पहली बार इस तरह का अनुभव मिला।
कश्मीर की डल झील सरीखा अनुभव
शुभारंभ के बाद मुख्यमंत्री खुद शिकारा में सवार हुए और बड़ी झील की सैर की। शिकारे की धीमी चाल, हल्की ठंडी हवा और पानी की सतह पर बनती लहरों ने बोट क्लब का पूरा वातावरण बदल दिया। जैसे ही मुख्यमंत्री झील में आगे बढ़े, लोग मोबाइल कैमरे उठाकर इस दृश्य को कैद करने लगे। कई परिवार यह कहते सुने गए कि उन्हें ऐसा लगा मानो वे कश्मीर की डल झील में हों।
चार और छह सीटर शिकारे उपलब्ध
यहां चार और छह सीटर शिकारे उपलब्ध हैं। हर शिकारा कश्मीर की शैली में सजाया गया है। कपड़े से बनी रंगीन छत और झील पर धीमे-धीमे तैरने का एहसास लोगों को नए अनुभव की ओर खींच रहा है। किराया भी सामान्य रखा गया है।
अधिकारियों का कहना है कि यह सुविधा भोपाल के पर्यटन को नई पहचान देगी। अपर लेक पहले से ही शहर की जान है, लेकिन शिकारे इसकी खूबसूरती को अलग स्तर पर ले जाएंगे। खासकर उन लोगों के लिए जो कश्मीर का अनुभव लेना चाहते हैं मगर वहां जा नहीं पाते।
यह है किराया
अगर चार लोग 20 मिनट सैर करेंगे तो उन्हें 300 रुपए चुकाने होंगे, वहीं छह लोगों को 20 मिनट के लिए 450 रुपए देने होंगे। शिकारे में सैर का आनंद सुबह 9 बजे से सूर्यास्त तक उठाया जा सकता है।
प्रदेश में जल-पर्यटन का केंद्र बनेगी शिकारा सेवा : मुख्यमंत्री
इस मौके पर मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा है कि राजा भोज की नगरी भोपाल में लगभग एक हजार साल पहले बने बड़े तालाब में \“शिकारा नाव\“ सेवा का शुभारंभ ऐतिहासिक अवसर है। ये शिकारे प्रदेश के जल-पर्यटन को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलवाएंगे। प्रदेशवासी पर्यटन सेवा का लाभ उठाने के लिए आगे आएं। मप्र पर्यटन निगम, वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियों को भी आगे बढ़ा रहा है। शिकारा सेवा का आनंद उठाते हुए पर्यटक स्वदेशी उत्पादों की खरीद भी कर पाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश ने वन्य जीवों के पुनर्वास में भी इतिहास रचा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वन्य जीव पर्यटन को लेकर अपार संभावनाएं विद्यमान हैं। नर्मदा वैली सहित प्रदेश की बड़ी-बड़ी जल परियानाओं के माध्यम से पर्यटकों को आकर्षित करने वाली गतिविधियां को बढ़ाया जा रहा है। राज्य सरकार पर्यटन क्षेत्र में विकास के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। पिछले एक साल में उज्जैन आने वाले पर्यटकों की संख्या सात करोड़ के पार पहुंच गई। इन शिकारा नाव का संचालन मप्र पर्यटन निगम द्वारा किया जा रहा है।
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, हरियाणा के विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, विधायक एवं अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर, वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार, महापौर भोपाल मालती राय, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, जिलाध्यक्ष रवींद्र यति सहित अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी और बड़ी संख्या में पर्यटन प्रेमी उपस्थित थे। |