40 से 50 बीघा जमीन पर टमाटर की खेती
संवाद सूत्र, शाहपुर (भोजपुर)। हरिहरपुर की महिलाएं आज आत्मनिर्भरता की एक नई मिसाल बनकर सामने आ रही हैं। दो दशक पहले शुरू हुआ इन महिलाओं का छोटा प्रयास आज इलाके को टमाटर और सब्जी उत्पादन के बड़े हब के रूप में पहचान दिला चुका है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
‘बूंद-बूंद से सागर भरता है’, यह कहावत हरिहरपुर की इन महिला कृषकों पर पूरी तरह लागू होती है, जिन्होंने पट्टे पर जमीन लेकर खेती शुरू की और आज आर्थिक मजबूती की एक नई कहानी लिख रही हैं।
शुरुआत में सरस्वती, लक्ष्मी, बंदना जैसे समूह बनाकर महिलाओं ने करीब 40 से 50 बीघा जमीन पर टमाटर और अन्य सब्जियों की खेती शुरू की थी।
समूहों का नाम बेटियों के नाम पर रखने के पीछे उद्देश्य था, समूह की पहचान और एकजुटता कभी न भूलें।
समय के साथ यह दायरा बढ़ता गया और अब हरिहरपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में दो से तीन हजार एकड़ जमीन पर टमाटर और मिर्च की खेती की जा रही है। यह क्षेत्र अब सब्जी उत्पादन के बड़े केंद्र के रूप में जाना जाता है।
पहले उत्पाद को बेचने किसानों को दूर-दराज बाजारों तक जाना पड़ता था, लेकिन अब हालत बदल चुकी है। स्थानीय के अलावा बाहरी जिलों और राज्यों, पटना, गोरखपुर, बनारस सहित कई मंडियों के व्यापारी सीधे खेतों तक पहुंच रहे हैं।
टमाटर के पौधों में फल लग चुके हैं और एक से दो सप्ताह में पहली तुड़ाई शुरू होने की उम्मीद है। महिला कृषक लालबुची देवी बताती हैं कि एजेंटों का आना शुरू हो गया है और किसान मोलभाव कर रहे हैं।
वर्तमान में टमाटर की कीमत 35 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रही है।
किसानों के अनुसार प्रति एकड़ 60 से 70 हजार रुपये तक की आमदनी टमाटर की खेती से हो जाती है। इससे परिवारों की आय में बड़ा सुधार आया है।
भूमिहीन किसान भी मालगुजारी (पट्टे) पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा दिख रही है।
चंदन चौधरी, भोलन सिंह और महादेव साह जैसे किसान बताते हैं कि गांव की आत्मनिर्भरता की असल कहानी टमाटर, मिर्च, गोभी और बैंगन की खेती में ही बसती है।
आज हरिहरपुर की महिलाएं न केवल अपने परिवारों को संवार रही हैं, बल्कि पूरे इलाके को विकास और समृद्धि की नई दिशा दे रही हैं। |