LHC0088 • 2025-12-4 19:10:19 • views 356
इमरजेंसी में न बेड मिला, न स्टैंड
संवाद सूत्र, गिरियक(नालंदा)। भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी अस्पताल की बदहाल व्यवस्था का एक और शर्मनाक मामला बुधवार देर रात सामने आया। इमरजेंसी वार्ड में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत कितनी जर्जर हो चुकी है, इसकी बानगी उस दृश्य ने दे दी, जहां एक गंभीर मरीज को न बेड उपलब्ध हुआ, न सलाइन स्टैंड। मजबूरी में मरीज के बुजुर्ग पिता को ही सलाइन की बोतल हाथ में पकड़ाकर इलाज चलाया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
महिला गांव निवासी रामकुमार के अनुसार उनकी पुत्री अचानक बीमार पड़ गई, जिसके बाद वे देर रात उसे इमरजेंसी वार्ड लाए। पहुंचने पर स्टाफ ने बेड खाली न होने की बात कहकर मरीज को किनारे बैठा दिया।
डॉक्टर द्वारा सलाइन चढ़ाने का निर्देश मिलने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों ने बोतल थमा दी, वह भी मरीज को नहीं, बल्कि उसके करीब 70 वर्षीय पिता को।
तस्वीरों में साफ दिखाई देता है कि बुजुर्ग व्यक्ति एक हाथ में सलाइन पकड़कर खड़े हैं और दूसरे हाथ से किसी स्वजन को फोन कर स्थिति समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
उनके कांपते हाथों को देखकर भी किसी कर्मी ने सहायता देने की जरूरत नहीं समझी।
स्वजन का आरोप है कि जब उन्होंने स्टाफ से बैठने की सुविधा, स्टैंड या किसी सहायक की मांग की, तो उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया।
वार्ड में मौजूद अन्य मरीजों के परिजनों ने भी बताया कि इमरजेंसी में सुविधा मांगने पर अक्सर उल्टा डांट मिलती है। कई बार कर्मियों और परिजनों के बीच विवाद की नौबत भी बन जाती है।
लोगों का कहना है कि पावापुरी अस्पताल में हर दिन हजारों मरीज आते हैं, लेकिन सुविधाएं वर्षों से जस की तस पड़ी हैं। स्टाफ की कमी, उपकरणों का अभाव और अव्यवस्था के कारण मरीजों को आये दिन ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इस घटना ने प्रशासनिक संवेदनहीनता की हदें पार कर दी हैं, जिसे स्थानीय लोगों ने \“मानवीय संवेदनहीनता का चरम बताया है।
घटना के बाद परिजनों व ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल जांच कराने और संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन की ओर से अभी तक किसी अधिकारी ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। |
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