deltin33 • 2025-12-4 11:36:58 • views 385
सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। फ्लैट फुट और घुटने के अंदरूनी हिस्से (मीडियल कंपार्टमेंट) में होने वाले आस्टियोआर्थराइटिस से जूझ रहे लोगों में कस्टमाइज्ड फुट आर्थोसिस यानी विशेष रूप से बने इनसोल घुटने की एलाइनमेंट, दर्द और चलने-फिरने की क्षमता पर कितना असर डालते हैं, यह जानने के लिए एक नई शोध शुरू की गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आस्टियोआर्थराइटिस गठिया का एक प्रकार है जो तब होता है जब जोड़ों की उपास्थि घिस जाती है जोड़ों में दर्द, अकड़न और चलने-फिरने में समस्या होती है। यह एक पुरानी बीमारी है जो समय के साथ बदतर होती जाती है और आमतौर पर हाथों, घुटनों और कूल्हों जैसे जोड़ों को प्रभावित करती है।
इनसोल के प्रभाव पर छह माह का MRI अध्ययन
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर लांच की गई इस शोध में यह जांचा जाएगा कि क्या ये इनसोल वजन पड़ने के दौरान होने वाले टिबियो-फिबुलर रोटेशन को रोक सकते हैं और दीर्घकालिक रूप से गतिशीलता में सुधार ला सकते हैं। अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों के घुटनों का पहला एमआरआइ स्कैन सीधे खड़े होने की स्थिति और 30 डिग्री मोड़ पर, इनसोल के साथ और बिना दोनों तरह से किया जाएगा।
छह माह बाद दोबारा स्कैन लिए जाएंगे। स्वस्थ व्यक्तियों का एक तुलना समूह भी शामिल होगा। यह अध्ययन पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय दिव्यांगजन संस्थान (सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय) द्वारा शुरू किया गया है। |
|