deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

दिल्ली हमले के बाद गाजियाबाद में खुली सुरक्षा की पोल, किरायेदार सत्यापन की धीमी रफ्तार बनी बड़ा खतरा

LHC0088 2025-12-4 06:37:13 views 826

  

सांकेतिक तस्वीर।



जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में आतंकियों की पनाह और फर्जी पहचान के सहारे तैयार किए गए माड्यूल ने पूरे एनसीआर को यह कठोर संदेश दिया है कि सुरक्षा व्यवस्था के सबसे छोटे छेद भी किसी बड़े हमले की वजह बन सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दिल्ली में हुए आतंकी हमले के बाद पुलिस ने सतर्कता बरतते हुए किराएदारों के सत्यापन का अभियान चलाया। 15 दिन के अभियान में एक हजार से ज्यादा किराएदारों के सत्यापन किए गए। आतंकी या किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा की सबसे पहली दीवार किराएदार का पुलिस सत्यापन है।
15 दिन में 1000 किराएदारों का सत्यापन


गाजियाबाद पुलिस ने दिल्ली में हालिया आतंकी हमले के बाद जिले में विशेष अभियान चलाया और 15 दिनों में एक हजार से अधिक किरायेदारों का सत्यापन किया। यह संख्या दिखने में बड़ी है, लेकिन जिलाभर में मौजूद किरायेदारों की तुलना में बेहद कम है।

अभियान ने साफ संकेत दिया है कि शहर में ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में भी सत्यापन की स्थिति बेहद कमजोर है। कई मकान मालिक न तो जानकारी भरते हैं और न ही दस्तावेज़ थाने तक पहुंचाते हैं।

महत्वपूर्ण यह है कि पुलिस ने तीन महीने पहले ही बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) की धारा 163 का उपयोग करते हुए किरायेदार और घरेलू सहायकों के अनिवार्य पुलिस सत्यापन का आदेश जारी कर दिया था। इस धारा के तहत किसी भी मकान मालिक के लिए बिना सत्यापन किसी भी व्यक्ति को कमरा देना दंडनीय है।
आदेश के बावजूद अनुपालन कम

लेकिन वास्तविकता यह है कि आदेश के बावजूद अनुपालन बेहद कम रहा। यही लापरवाही सुरक्षा का सबसे बड़ा खतरा बन सकती है। अभियान की रिपोर्ट बताती है कि अभी भी हजारों किरायेदार पुलिस रिकार्ड से बाहर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और खराब है। जान-पहचान के नाम पर बिना किसी आइडी, संदर्भ या जांच के कमरे दे दिए जाते हैं।

यही वह ढील है जिसकी आड़ में कोई भी संदिग्ध महीनों तक सामान्य किरायेदार बनकर शहर में छिप सकता है। ऐसा ही हाल घरेलू कामगारों का भी है। गाजियाबाद में घरेलू कामगारों का सत्यापन कराने में शहरवासी बेहद सुस्त हैं। पुलिस के पास एक साल में करीब 500 आवेदन ही घरेलू कामगारों के सत्यापन के आए।








किरायेदार और घरेलू सहायकों का सत्यापन महज औपचारिकता नहीं, बल्कि सुरक्षा की पहली दीवार है। बीएनएसएस की धारा 163 के तहत यह अनिवार्य है। बिना सत्यापन किराए पर कमरा देना जोखिम भरा हो सकता है। पुलिस तत्परता से वेरीफिकेशन करा रही है।
-

आलोक प्रियदर्शी, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, कानून-व्यवस्था
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

No related threads available.

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1210K

Credits

Forum Veteran

Credits
129339