राजीव कुमार, नई दिल्ली। अमेरिका के साथ टलते व्यापार समझौते के बीच भारत रूस के बाजार को साधने की तैयारी में है। भारत रूस में अभी सालाना सिर्फ पांच अरब डॉलर का निर्यात करता है जबकि चीन रूस में सालाना 115 अरब डॉलर का निर्यात करता है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी जैसे कई आइटम शामिल है जिनका निर्यात भारत भी रूस में कर सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उदाहरण के लिए भारत अभी रूस में सिर्फ 7.5 करोड़ डालर के स्मार्टफोन का निर्यात करता है जबकि भारत स्मार्टफोन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक व निर्यातक देश बन चुका है। भारत रूस में सिर्फ 24.6 करोड़ डॉलर के फार्मा का निर्यात करता है जबकि फार्मा निर्यात में भारत के लिए यहां बड़ी संभावना दिख रही है। दो साल पहले भारत का एक व्यापारिक दल रूस में फार्मा निर्यात को बढ़ाने के लिए वहां के व्यापारियों से मुलाकात भी की थी। भारत से सिर्फ 2.9 करोड़ डॉलर का गारमेंट रूस में जाता है।
जानकारों का कहना है कि कई सेक्टर में भारत को रूस में अपने निर्यात को बढ़ाने की गुंजाइश है और ये सभी सेक्टर रोजगार परक है। अब दोनों देशों के बीच स्थानीय करेंसी में लेन-देन की सुविधा भी धीरे-धीरे शुरू हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए ही रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान रूस के साथ व्यापार समझौता करने की दिशा में बातचीत शुरू करने की पहल हो सकती है।
गुरुवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और रूस के राष्ट्रपति कार्यकारी कार्यालय के उप प्रमुख मैसिम ओरेशेकिन भारत-रूस बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के 50 से अधिक उद्यमी मौजूद रहेंगे जो आपस में निवेश व व्यापारिक मसलों पर विचार-विमर्श करेंगे।
वैश्विक बाजार के जानकारों का कहना है कि अमेरिका की तरफ से भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने के बाद अमेरिका के बाजार में भारत का निर्यात गिर रहा है जिसकी भरपाई के लिए भारत सघन तरीके से वैकल्पिक बाजार की तलाश कर रहा है।
रूस भी एक बड़ा विकल्प हो सकता है। हाल ही में रूस ने भारत से समुद्री उत्पाद का आयात करने में दिलचस्पी दिखाई है जिससे अमेरिका में प्रभावित होने से समुद्री निर्यात में कमी की भरपाई हो सकती है। दूसरी तरफ रूस के लिए भारत बड़ा रक्षा बाजार बन सकता है।
रूस भारत में रक्षा उपकरणों का निर्माण भी शुरू कर सकता है और इस दिशा में भी पुतिन की यात्रा के दौरान बातचीत हो सकती है। अमेरिका भारत को रूस से तेल खरीदारी पर रोक लगाने के लिए कह रहा है और तभी अमेरिका भारत पर जुर्माने के रूप में लगाए गए 25 प्रतिशत के शुल्क को हटाएगा। भारत ने अब रूस से तेल खरीदारी में कटौती कर दी है। इस पर रूस ने भारत को यह संदेश दिया है कि वह भारत की मजबूरी को समझता है।