पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए जानकारी देते अतिथि।
जासं, जमशेदपुर। झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के पारंपरिक कारीगरों को आधुनिक तकनीक और बाजार से जोड़ने की दिशा में बुधवार को महत्वपूर्ण पहल की गई। भारत सरकार के एमएसएमई-विकास कार्यालय, रांची के तत्वावधान में आदित्यपुर स्थित आईडीटीआर सभागार में पीएम विश्वकर्मा योजना पर कार्यशाला आयोजित हुई।
कार्यशाला का उद्घाटन आरडीएसडीई (हेहल, रांची) के क्षेत्रीय निदेशक विनोद कुमार दुबे, डीआईसी महाप्रबंधक रवि शंकर प्रसाद और एलडीएम वरुण कुमार चौधरी ने किया। सहायक निदेशक गौरव ने बताया कि यह योजना लोहार, सुनार, कुम्हार सहित 18 पारंपरिक विधाओं के कारीगरों को आधुनिक बाजार से जोड़ने का माध्यम है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें योजना के अंतर्गत लाभुकों को 5-7 दिनों का प्रशिक्षण मिलेगा, जिसमें प्रतिदिन 500 रुपये स्टाइपेंड दिया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद 15 हजार रुपये का टूलकिट ई-वाउचर, साथ ही उद्यम बढ़ाने के लिए 1 से 2 लाख रुपये तक का कोलेटरल-फ्री लोन मात्र 5% ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही लाभुकों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचान पत्र भी प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में आईडीटीआर के सीनियर इंजीनियर अंजन कुंडु ने कारीगरों को ई-कॉमर्स अपनाने और अपने उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने की प्रेरणा दी। श्रीनाथ यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ जे. राजेश और डॉ. प्रीति किरन ने डिजिटल मार्केटिंग की टिप्स साझा कीं। बैंक ऑफ इंडिया ने लोन प्रक्रिया समझाई, जबकि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) की टीम ने स्थल पर ही 25 लाभुकों को ऑनबोर्ड कर यूपीआई क्यूआर कोड जारी किए। कार्यक्रम में ईओडीबी मैनेजर रोहित कुमार समेत कई अधिकारियों ने विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। समापन जिला उद्यमी समन्वयक एडलिन भुतकुवर ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यशाला में 125 से अधिक शिल्पकारों ने भाग लिया। |