बाल विवाह के मामले बढ़ रहे हैं (प्रतीकात्मक चित्र)।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सरकार बाल विवाह जैसी कुरीति को खत्म करने के तमाम दावे करती है, लेकिन हकीकत इससे उलट है। बाल विवाह के मामले घटने के बजाय हर साल बढ़ते ही जा रहे हैं। आलम यह है कि पिछले छह साल में ही प्रदेश में बाल विवाह के 2,909 मामले सामने आए हैं। सर्वाधिक प्रकरण दमोह और सागर से सामने आ रहे हैं। यह जानकारी गुना के राघौगढ़ से कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के विधानसभा प्रश्न के उत्तर में महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने दी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जयवर्धन सिंह ने पूछते हुए कहा कि 2020 से 2025 तक बाल विवाह के मामलों में लगातार वृद्धि हुई है, जबकि प्रदेश में बाल विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित है। इस अवधि में 2,909 बाल विवाह हुए, जो बताता है कि करोड़ों रुपये खर्च करने, योजनाएं चलाने और अभियानों के दावे के बावजूद प्रदेश में बाल विवाह पर रोक नहीं लग रही है। जबकि, इसके लिए प्रदेशभर में बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त हैं।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के तहत हर माह योजनाबद्ध गतिविधियां आयोजित होती हैं। अक्षय तृतीया व देव उठनी एकादशी पर विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। नुक्कड़ नाटक, बाल चौपाल, कार्यशाला, रैलियां की जाती हैं। जिला व ब्लाक स्तर पर विशेष टीमें, सूचना दल, उइन दस्ता, कंट्रोल रूम और नियंत्रण कक्ष गठित किए जाते हैं। इसके बाद जो तस्वीर सामने आई है, वह चिंतित करने वाली है।
इन जिलों में अधिक प्रकरण
दमोह - 293,
सागर - 202,
गुना - 146,
देवास - 121,
डिंडौरी - 86,
रतलाम - 78,
धार - 72,
मंदसौर - 69,
झाबुआ - 68,
विदिशा - 60
उज्जैन - 60
वर्षवार स्थिति
2020- 366
2021- 236
2022- 519
2023- 528
2024- 529
2025- 538 |