सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, पीलीभीत। जिला अस्पताल से लिए गए 10 दवाओं के सैंपल में तीन दवाओं के सैंपल फेल हुए है। लैब से रिपोर्ट आने के बाद औषधि निरीक्षक की ओर से एक मामले में कोर्ट में केस दायर कराया है। जबकि अन्य दो दवाओं की विवेचना की जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिला अस्पताल के तीन दवा के नमूने फेल, एक में कोर्ट केस, दो में चल रही जांच
नवंबर माह में औषधि निरीक्षक नेहा वैश्य ने जिला अस्पताल के दवा वितरण केंद्र से 10 दवाओं के सैंपल लिए थे। लैब भेजने के बाद तीन दवाएं अधोमानक सब स्टैंडर्ड (घटिया अवमानक) मिली है। इनमें पहली डाइक्लोफेनिक, आइब्रोफेन और कैल्शियम थ्री-डी टेबलेट शामिल हैं। डाइक्लोफेनिक टेबलेट दर्द राहत दवा है। जबकि आइब्रोफेन नानस्टेराइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है, जोकि हल्के से मध्यम दर्द और सूजन का इलाज करती है। इसी तरह कैल्शियम थ्री-डी टेबलेट कैल्शियम की कमी को पूरा करने में काम करती है। अस्पताल में भी अधिकतर डाक्टर दर्द में डाइक्लोफेनिक और आइब्रोफेन लिखते हैं।
डाइक्लोफेनिक, आइब्रोफेन और कैल्शियम थ्री-डी दवाएं मानकों पर नहीं उतरीं
रिपोर्ट में इन दवाओं में जो फार्मूला प्रयोग हुआ है। वह मानक के अनुरुप नहीं पाया गया। इसके अलवा घुलनशील आदि की समस्या सामने आई है। इसके बाद औषधि निरीक्षक नेहा वैश्य ने सीएमएस को जानकारी देकर सप्लाई करने वाली फर्म के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयारी की है। इसमें कैल्शियम थ्री-डी टेबलेट बनाने वाली फर्म के खिलाफ औषधि निरीक्षक ने कोर्ट में केस दायर कराया है। जबकि डाइक्लोफेनिक और आइब्रोफेन की विवेचना की जा रही है।
जिला कारागार की 16 दवाओं में एक फेल
पिछले माह जिला कारागार से औषधि निरीक्षक नेहा वैश्य ने 16 दवाओं के सैंपल लिया। इनमें एक दवा फेल हुआ है। उन्होंने बताया कि जिन दवाओं के सैंपल फेल हो रहे है। उन कंपनियों के विरूद्ध कार्रवाई के लिए पत्र भेजे जा रहे है।
पांच मेडिकल के लाइसेंस निलंबित
औषधि निरीक्षक विभाग की ओर से नवंबर माह में 30 से अधिक निरीक्षण किए गए। इनमें हसन, जावेद, एमएफ, शिफा, आशिक मेडिकल स्टोर पूरनपुर के दवाओं के सैंपल लेकर परीक्षण को भेजे गए। इनमें सात दवाओं के सैंपल फेल हो गए। इस पर औषधि निरीक्षक की ओर से पांच मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। इसके अलावा अन्य दो मेडिकल संचालकों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जा रही है।
ग्राहक बनाकर जाएगी टीम, करेगी कफ सीरप की पड़ताल
मध्य प्रदेश में कफ सीरप से मौत का मामला सामने आने के बाद जिले में भी अलर्ट कर दिया गया है। पूर्व में कफ सीरप को नशे में भी प्रयोग किया जाने लगा था। जिला नेपाल सीमा से लगा होने के कारण सप्लाई होने की आशंका बनी हुई है। इसको लेकर औषधि विभाग की टीम जांच कर रही है। साथ ही बिना डॉक्टर के पर्चे पर कफ सीरप नहीं बेचा जाएगा। इसको लेकर आदेश जारी कर दिया गया है, लेकिन जिले में अधिकांश जगह सीरप की बिक्री हो रही है। इसको रोकने के लिए टीम के सदस्य बोगस ग्राहक बनाकर मेडिकल स्टोर पर पहुंचेंगे। अगर सीरप की बिक्री पाई गई तो लाइसेंस निलंबित करने के अलावा विधिक कार्रवाई की जाएगी।
जिले में दवाओं की गुणवत्ता और नकली दवाओं की रोकथाम पर छापेमारी की जाती है। दवाओं के सैंपल लेकर जांच भेजे गए हैं। जिला अस्पताल से लिए गए दवाओं के सैंपल में तीन नमूने फेल हुए हैं। एक में कोर्ट केस चल रहा है। दो दवाओं की जांच कराई जा रही है। इसके अलावा नवंबर माह में 30 से अधिक निरीक्षण किए। जिनमें सात सैंपल फेल हुए। इस पर पांच मेडिकल संचालकों के लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं। - नेहा वैश्य, औषधि निरीक्षक |
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