जागरण संवाददाता, गोरखपुर। Indian Railways News | पूर्वोत्तर रेलवे में गोरखपुर के रास्ते बाराबंकी से छपरा तक (425 किमी) तीसरी रेल लाइन बिछ़ेगी। चौथी लाइन बिछाने के लिए भी तैयारी चल रही है। जगह-जगह निर्माण और सर्वे कार्य चल रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसीक्रम में घाघरा घाट-बुढ़वल तक तीसरी लाइन निर्माण पूरा हो चुका है, जिसमें घाघरा नदी पर महत्वपूर्ण पुल का निर्माण शामिल हैं। पूर्ण कर रेल संरक्षा आयुक्त उत्तर पूर्व सर्किल पांच दिसंबर को इस नई तीसरी रेल लाइन का निरीक्षण और स्पीड ट्रायल करेंगे। इसके बाद इस लाइन पर भी ट्रेनें चलने लगेंगी।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे में मल्टीट्रैकिंग का कार्य तीव्र गति से चल रहा है मल्टीट्रैकिंग से लाइन क्षमता में वृद्धि होने से गाड़ियों के समय पालन में सुधार होगा। इसी क्रम में छपरा ग्रामीण-बाराबंकी मुख्य रेल मार्ग पर तीसरी लाइन निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है।
पूर्वाेत्तर रेलवे में अभी तक छपरा ग्रामीण-छपरा एवं कुसम्ही-डोमिनगढ़ रेल खण्डों पर तीसरी लाइन कमीशन हो चुकी है। गोंडा-बुढ़वल (61.72 किमी) तीसरी लाइन निर्माण के अंतर्गत गोंडा कचहरी-घाघरा घाट (45.42 किमी) तीसरी लाइन कमीशन हो चुकी है।
इसके अगले चरण में इससे लाइन क्षमता में वृद्धि होने से गाड़ियों के समय पालन में सुधार होगा तथा जन आकांक्षाओं के अनुरूप अधिक गाड़ियों का संचलन किया जा सकेगा। गोण्डा-बुढ़वल तीसरी लाइन निर्माण परियोजना को पूरा करने में 1117 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
1898 में बना एल्गिन ब्रिज, सरयू पर तैयार हुआ थर्ड लाइन
घाघरा घाट-चौकाघाट स्टेशनों के मध्य घाघरा नदी (सरयू) पर बना तीसरा पुल महत्वपूर्ण है। पहले पुल का कार्य वर्ष 1898 में घाघरा घाट-चौकाघाट मीटर गेज लाइन के निर्माण के साथ ही पूर्ण हुआ। इस पुल का नाम भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड एल्गिन के नाम पर एल्गिन ब्रिज पड़ा।
इस पुल को 1981 में गोण्डा-बाराबंकी खण्ड के आमान परिवर्तन के दौरान बड़ी लाइन मानक के अनुरूप बनाया गया। दूसरे पुल का निर्माण घाघरा घाट-चौकाघाट खण्ड के दोहरीकरण के दौरान वर्ष 2012-13 में हुआ और उद्घाटन 14 अप्रैल, 2013 को हुई। तीसरा पुल कमीशनिंग के लिए तैयार है।
इस पुल की लंबाई 1037 मीटर है, जिसमें 17 स्पैन है। इस पुल का फाउंडेशन डबल लाइन के अनुरूप किया गया है, जिससे यहां चौथी लाइन निर्माण के समय चौथे पुल के लिए फाउंडेशन की आवश्यकता नही होगी, जिससे समय, संसाधन एवं धन की बचत होगी। |