जिला सोलन का बघाट बैंक परिसर। जागरण आर्काइव
संवाद सहयोगी, सोलन। 138 करोड़ के एनपीए के कारण विभिन्न प्रतिबंध का सामना कर रहा हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन का बघाट बैंक अपना एनपीए कम करने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। लेकिन विभागों की आपसी तालमेल के कारण यह कार्य देरी से चलता नजर आ रहा है।
सोमवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जब बघाट बैंक के कर्मचारी, निदेशक मंडल के सदस्य, सरफेसी टीम व पुलिस कर्मियों के साथ सोलन डिग्री कॉलेज के नजदीक स्थित एक जमीन का कब्जा लेने के लिए गए थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लेकिन मौके पर राजस्व विभाग के कर्मचारी न होने से जमीन का कब्जा लेने का काम सिरे नहीं चढ़ पाया। इस कारण करीब सवा करोड़ की रिकवरी करने के लिए बैंक को कुछ और समय इंतजार करना पड़ेगा।
तारीख देने के बाद भी स्टाफ नदारद
तहसीलदार सोलन ने इसके लिए स्टाफ न होने का कारण बताया, लेकिन बैंक निदेशकों ने उनसे पूछा कि जब आपने ही जमीन का कब्जा लेने के लिए यह तारीख दी थी, तो फिर स्टाफ कैसे नदारद रहा।
तहसीलदार बोले, इमरजेंसी भी हो सकती है
इस पर तहसीलदार ने कहा कि किसी को इमरजेंसी भी हो सकती है। लेकिन बैंक प्रबंधन इससे संतुष्ट नजर नहीं आया। उनका कहना था कि इस तरह से तो बैंक का एनपीए घटने से रहा और फिर जमीन का मालिक कोर्ट में जाकर मामला लंबा खींच सकता है।
तहसील स्टाफ के कारण प्रक्रिया लटकी
बैंक के एमडी राज कुमार ने भी कहा कि करीब सवा करोड़ की रिकवरी के लिए कॉलेज के पास जमीन का कब्जा दिलाने के लिए तारीख दी गई थी, जिस पर हमारी टीमें मौके पर पुलिस सहित गई थी। लेकिन तहसील स्टाफ के न होने के चलते यह प्रक्रिया लटक गई है।
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126 करोड़ रह गया एनपीए
करीब दो माह पहले बैंक का एनपीए 138 करोड़ था, जिसके चलते आरबीआई ने बैंक पर कई तरह की बंदिशें लगा दी थी। उसके बाद बैंक प्रबंधन ने एनपीए कम करने के लिए प्रयासों में तेजी लाई, जिसके चलते अभी तक 10 करोड़ से ज्यादा की रिकवरी की जा चुकी है। इससे अब एनपीए 138 करोड़ से घटकर 126 करोड़ रह गया है। आगामी समय में रिकवरी को लेकर बैंक के प्रयास और तेज होने से इसमें ज्यादा कमीं आने के आसार है। तभी संभव है कि बैंक पर लगी बंदिशें भी हटें।
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