विश्व एड्स दिवस। (जागरण)
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। एचआईवी के हाई रिस्क जोन में ट्रक ड्राइवर, रेड लाइट एरिया में जाने वाले लोगों के साथ प्रवासी मजदूरों को माना जाता है, लेकिन इसका दायरा बढ़ रहा है। अब इसकी चपेट में कोचिंग जाने वाले छात्र भी आ रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर पर मरीजों में किशोरों के आने के बाद विभाग की चिंता बढ़ी है। हर साल मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। बचाव को लेकर जागरूकता अभियान के लिए जिले में एचआईवी से बचाव के लिए बना क्लब व अभियान पर सवाल उठ रहा है।
जागरूकता ही बेहतर बचाव होने के बाद भी इस पर कम फोकस है। जिले के साहेबगंज, मीनापुर, औराई, गायघाट व मोतीपुर हाई रिस्क जोन में हैं। यहां पर हर साल मरीज मिल रहे हैं।
जिले के पांच हजार से ज्यादा मरीज एआरटी से जुड़े, ले रहे दवा
एचआईवी एड्स के मरीजों के इलाज के लिए एसकेएमसीएच परिसर में एआरटी सेंटर काम कर रहा है। 2006 के अगस्त में इस सेंटर की स्थापना हुई। उस समय से अब तक 17,110 मरीजों का निबंधन किया गया। इन मरीजों में जिले के 5,331 मरीज निबंधित हैं। इनको नियमित दवा दी जा रही है।
स्थापना के समय बिहार में एआरटी को दो जोन में बांटा गया था। एक पीएमसीएच व दूसरा एसकेएमसीएच। पूरे बिहार के मरीज यहां पर दवा लेते थे। पिछले पांच साल पहले इस व्यवस्था में बदलाव करते हुए बिहार के हर जिला व सदर अस्पताल में जांच, इलाज व दवा वितरण की सुविधा दी गई।
इसके बाद यहां पर निबंधित दूसरे जिले के मरीज को वहां के एआरटी सेंटर से जोड़ दिया गया। केवल मुजफ्फरपुर के मरीज को ही यहां से दवा मिल रही। जिला नोडल पदाधिकारी डॉ. सीके दास ने कहा यहां पर इलाज कराने के लिए जिले के बाहर के मरीज आते रहते हैं।
इलाज के बाद उनको कार्ड देकर संबंधित जिले के सेंटर से जोड़ दिया जाता है। वहीं, जो प्रवासी मजदूर आते हैं, उनको दिल्ली या दूसरे राज्य जहां पर जाना चाहते हैं वहां कार्ड के आधार पर दवा लेते हैं। मरीज की पहचान होने के बाद तीन माह की दवा दी जाती है।
युवा मरीजों की बढ़ रही संख्या
जिले के 5,331 मरीज निबंधित हैं। जानकारी के अनुसार इनमें 400 मरीज 15 साल से कम उम्र के हैं। पिछले तीन साल के आंकड़ों के अनुसार हर साल औसतन चार से पांच सौ मरीज नए बढ़ रहे हैं। वर्ष 2023 में 455 नए मरीज मिले।
वहीं, 2024 में 601 व 2025 में अब तक 497 मरीज आए हैं। पिछले साल 22 ऐसे युवा संक्रमित मिले जिनकी आयु 16 से 22 है। ये 12वीं कक्षा से पार्ट एक व दो में पढ़ते हैं। सेंटर पर युवाओं की संख्या बढ़ी है।
नशा की लत व असुरक्षित यौन संबंध से बढ़ रहे मरीज
विशेषज्ञों के अनुसार युवा वर्ग में बढ़ते नशे की लत यानी एक सीरिंज से दो या तीन युवक नशा करते हैं, उसी तरह से दो-तीन के समूह में एक साथ यौन संबंध एचआईवी एड्स का प्रसार बढ़ाने में सहायक हो रहा है। रेड लाइट एरिया के बाद अब ऑनलाइन अपरिचित से दोस्ती हाई रिस्क बन रहा है।
एचआईवी की रफ्तार कम करने के लिए बनी ये रणनीति
- बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति की ओर से जीविका दीदी व आंगनबाड़ी सेविका को जागरूकता अभियान से जोड़ा जाएगा। इसके लिए उनको विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा
- रेड रिबन क्लब की संख्या बढ़ेगी। गांव में नियमित जाकर चलाएंगे जागरूकता अभियान।
- स्वास्थ्य विभाग, जीविका, नेहरू युवा केंद्र, स्वास्थ्य शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय सेवाएं योजना, एनसीसी, रेड रिबन क्लब इसके साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के सहयोग से पिछले महीने सघन जागरूकता व जांच अभियान चलाया गया। सबके सहयोग से अभियान नियमित चलेगा।
- सरकार की ओर से जारी नंबर 1097 पर डायल कर किसी भी प्रकार की जानकारी व सुझाव तथा भेदभाव की शिकायत की जा सकती है।
एचआईवी एड्स को लेकर हर पीएचसी स्तर पर जांच व एसकेएमसीएच में इलाज की सुविधा है। जागरूकता भी बचाव है। नशा की लत व असुरक्षित यौन संबंध से बचना चाहिए। एचआईवी संक्रमित के लिए प्रयुक्त किसी भी तरह की सीरिंज या ब्लड का उपयोग नहीं करें। संक्रमित के ब्लड का उपयोग नहीं करना चाहिए। -
- डॉ. सीके दास, जिला नोडल पदाधिकारी |