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चावल की बोरियों में 173 फर्मों को कफ सिरप की सप्लाई, यूपी के तीन और संदिग्धों पर नजर; असम तक जुड़े हैं तार

deltin33 5 hour(s) ago views 600

  



जागरण संवाददाता, लखनऊ। नशे में इस्तेमाल होने वाली फेंसेडिल कफ सीरप के मामले में शुभम जायसवाल, आलोक सिंह और अमित सिंह टाटा के अलावा तीन और संदिग्ध हैं। यह तीनों भी गिरोह से जुड़े थे। इनके खिलाफ भी एसटीएफ तथ्य जुटा रही है। एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि तस्करी के तार असम तक जुड़े हैं। एक फर्म असम के पते पर भी पंजीकृत है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

एसटीएफ ने बताया कि फेंसेडिल कफ सीरप के मामले में शुभम जायसवाल, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह और अमित सिंह टाटा का नाम तो सामने आ गया, लेकिन अभी तीन और लोगों को चिह्नित कर उनकी भूमिका की जांच की जा रही है। ये सभी लखनऊ, वाराणसी समेत अन्य जगहों तक तस्करी करने में अहम भूमिका निभाते थे।

सूत्र बताते हैं कि जांच में असम की भी एक फर्म सामने आई है। उसके जरिए कितना माल लिया गया था, यह पता लगाया जा रहा है। बताया गया है कि फेंसेडिल कफ सीरप गिरोह ने पूर्वांचल की 173 फर्मों को आपूर्ति की थी। इस गिरोह ने अपने पूरे नेटवर्क का केंद्र वाराणसी व आसपास के 10 जिलों को बनाया था।

यहां 100 करोड़ से अधिक का काला कारोबार किया। उसमें सर्वाधिक मास्टर माइंड शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद जायसवाल के नाम से किया गया था। इसमें कई बंद फर्मों को भी सप्लाई की गई थी। वाराणसी में 126, जौनपुर में 28, आजमगढ़ में तीन, चंदौली में सात, गाजीपुर में पांच और भदोही में चार फर्मों को कफ सीरप दिया गया। फर्म के नाम अलग होने के कारण लंबे समय तक किसी को संदेह नहीं हुआ।

अब तक की जांच में बनारस की 40 फर्मों का रिकार्ड नहीं मिला, जिन पर मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा 30 से अधिक फर्मे बंद हैं और उनके मोबाइल नंबर भी बंद हैं। पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में इस मामले में अब तक 50 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। वहीं, बची हुई फर्मों की जांच जारी है।
टाटा से जुड़े हर ठिकाने पर होगी छापेमारी

एसटीएफ के अधिकारी के मुताबिक अमित सिंह टाटा से जुड़े सभी ठिकानों पर निगरानी रखी जा रही है। यदि कोई संदिग्ध दस्तावेज मिलता है तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। गिरफ्तारी के बाद स्थानीय पुलिस ने उसके गांव में छापा मारा था। लोगों की भीड़ जमा हो गई, लेकिन पुलिस ने किसी को घर के अंदर नहीं जाने दिया।

सावधानी के तौर पर आसपास के क्षेत्र में भी पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है। जांच एजेंसियां अब उनके राजनीतिक और कारोबारी नेटवर्क की भी गहन पड़ताल कर रही हैं।
चावल की बोरी में सप्लाई होती थी सीरप

तस्करी के दौरान सीरप पकड़ी न जाए इसके लिए चावल की बोरी में भर कर भेजते थे। इसके लिए एक गिरोह भारी मात्रा में चावल भी खरीदता था। गिरोह की पूरी जानकारी जुटाने के लिए अलग-अलग कई टीमें लगी हुई है।
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