फाइल फाेटो ।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। कोल्हान प्रमंडल में एचआईवी-एड्स के बढ़ते मामले स्वास्थ्य विभाग के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) सेंटर में फिलहाल लगभग 4,000 संक्रमित मरीज पंजीकृत हैं। इनमें पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम तथा सरायकेला-खरसावां जिले के मरीज शामिल हैं। चिकित्सकों के अनुसार हर साल करीब 500 नए एचआईवी संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। बढ़ती जागरूकता के कारण लोग अब प्रारंभिक लक्षण दिखते ही जांच करवा रहे हैं, जिससे संक्रमण की पहचान समय पर हो रही है। एमजीएम में हर वर्ष 7,000 से अधिक लोग एचआईवी जांच कराते हैं, जिनमें 500 से अधिक मरीज पॉजिटिव निकलते हैं। चिकित्सक बताते हैं कि एचआईवी पॉजिटिव होने पर प्रतिरक्षा प्रणाली धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है और लगभग दस वर्ष बाद व्यक्ति एड्स की अवस्था में पहुंच जाता है। सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल के अनुसार, पहले मरीज इस बीमारी को छिपाते थे, लेकिन अब जागरूकता बढ़ने से लोग जांच कराने में आगे आ रहे हैं। कुछ माह पूर्व चाईबासा के सदर अस्पताल ब्लड बैंक में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया था, जहां थैलेसीमिया पीड़ित पांच बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। जांच में पुष्टि हुई कि चढ़ाए गए रक्त में एचआईवी मौजूद था, जिसके बाद पांचों बच्चे संक्रमित हो गए। घटना सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और तत्कालीन सिविल सर्जन, ब्लड बैंक प्रभारी चिकित्सक और अन्य संबंधित कर्मियों को निलंबित कर दिया गया।
यह घटना बताती है कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन से जुड़े मामलों में अब भी कई जगह मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। खासकर थैलेसीमिया, हीमोफिलिया जैसे मरीजों को बार-बार रक्त की आवश्यकता होती है, ऐसे में रक्त जांच की प्रक्रिया में किसी भी तरह की अनदेखी खतरनाक साबित हो सकती है।
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एमजीएम में 19 माह में 13,131 गर्भवती मिहलाओं की जांच, 25 पॉजिटिव एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल द्वारा गर्भवती महिलाओं में एचआईवी जांच अनिवार्य की गई है। बीते 19 माह में 13,131 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई, जिनमें 25 महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव पाई गईं। इनमें से एक नवजात भी संक्रमित पैदा हुआ, जिसकी कुछ महीनों बाद मौत हो गई। चिकित्सक बताते हैं कि यदि गर्भावस्था की शुरुआत में ही संक्रमण का पता चल जाए तो मां से बच्चे में संक्रमण का खतरा 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। पॉजिटिव मिलते ही महिला को तत्काल एआरटी दवा दी जाती है और बच्चे के जन्म के बाद उसे भी निश्चित अवधि तक दवाएं दी जाती हैं।
एचआईवी कैसे फैलता है?
- संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य, वेजाइनल फ्लूइड और ब्रेस्ट मिल्क
- संक्रमित व्यक्ति के साथ अनप्रोटेक्टेड सेक्स
- संक्रमित सुई या सीरिंज का उपयोग
- संक्रमित खून चढ़ाना
- गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान मां से बच्चे तक संक्रमण
एचआईवी से कैसे बचें?
- प्रोटेक्टेड सेक्स करें, कंडोम का सही उपयोग करें।
- नई सुई/सीरिंज का प्रयोग करें, इंजेक्शन शेयर न करें।
- रक्त चढ़ाने से पहले एचआईवी जांच सुनिश्चित करें।
- गर्भवती महिलाएं नियमित जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
- यदि जोखिम हो तो समय-समय पर एचआईवी टेस्ट कराएं।
एचआईवी के शुरुआती लक्षण
- बुखार, ठंड लगना, गले में खराश
- रात में पसीना आना
- मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द
- त्वचा पर दाने या चकत्ते
- दस्त, वजन कम होना, मुंह के छाले
शरीर में कोई भी लक्षण सामने आए तो उसे नजरअंदाज नहीं करें। एक लक्षण कई बीमारियों का कारण हो सकता है। हालांकि, अब लोगों में जागरूकता काफी बढ़ी है। -
डॉ. साहिर पाल, सिविल सर्जन |