कांस्टीट्युशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुति देती केरल की बौद्धिक जिहाद की पीड़ित युवतियां। हरीश कुमार
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली के लोग सुदूर केरल राज्य से आ रही लव व बौद्धिक जिहाद की खबरों को सुनते रहे हैं, लेकिन रविवार को एक विशेष आयोजन में उन्हें इससे करीब से देखने व समझने का मौका मिला। इसके लिए पीड़िताएं दिल्ली आईं और आपबीती के साथ ही नृत्य नाटिका के माध्यम से पूरे षड्यंत्र से पर्दा उठाया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लव जिहाद की शिकार ये पीड़िताएं अब केरल में लव जिहाद की शिकार महिलाओं को दलदल से बाहर निकाल रही संस्था आर्ष विद्या समाजम की वालंटियर्स बन कर अब देशभर की महिलाओं को जागरूक कर रही हैं। उसमें एक अर्नाकुलम की कृष्ण प्रिया ने बताया कि स्कूल के दिनों में ही उनके दिमाग में हिंदू धर्म के प्रति हीनता तथा इस्लाम को श्रेष्ठ बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इसमें षडयंत्रपूर्वक उसके सहपाठी ही शामिल थे।
उन्होंने बताया कि उन्हें टोका जाता कि तुम्हारे यहां तो जातिवाद है। करोड़ों देवी-देवताएं हैं। जबकि, इस्लाम में जातिवाद नहीं है और कोई देवी-देवता नहीं है। इस तरह वह मझधार में फंस गई थी। वह घंटों उनके साथ बिताने लग गई थी। वह इस्लाम ग्रहण करने की प्रक्रिया में पहुंच गई थी कि परिवार को यह जानकारी लग गई और उन्होंने उनकी काउंसिलिंग कराई। इसी तरह, की कहानी अन्य पीड़िताओं की रहीं, जहां स्कूल या काॅलेज के समय में उसके सहपाठी उसे सनातन धर्म के प्रति हीन भावना भरते रहे और एक दिन ऐसा आया, जब उसने अपना धर्म छोड़ दिया उस मोड़ पर पहुंच गई।
एक अन्य पीड़िता त्रिवेंद्रम की अमृता कहती है कि अगर उन्हें समय रहते नहीं बचाया गया होता तो वह खुद आत्मघाती बनकर उड़ चुकी होती। आर्ष विद्या समाजम के संस्थापक निदेशक आचार्य केआर मनोज ने बताया कि उनकी ही संस्था के हेल्पलाइन नंबर पर प्रतिदिन 20 फोन ऐसे षड्यंत्र से पीड़ितों के आते हैं और यह इस्लाम से ही नहीं बल्कि ईसाई षड्यंत्र की भी शिकार होती हैं।
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