मद्रास हाईकोर्ट: स्टॉकर सतीश की फांसी, उम्रकैद में बदली। (प्रतीकात्मकत तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सेंट थॉमस माउंट रेलवे स्टेशन पर चलती ट्रेन के सामने एक छात्रा एम सत्या को धक्का देकर उसकी हत्या के आरोप में निचली अदालत से मौत की सजा पाए स्टॉकर डी सतीश की सजा को मद्रास हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दरअसल, पूरा मामला साल 2022 का है। इस घटना में निचली अदालत ने आरोपी को मौत को सजा सुनाई थी। इसके बाद डी सतीश ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा कि उसे 20 साल तक जल्दी रिहा करने पर विचार नहीं किया जाएगा।
कई रिपोर्ट्स को देखने के बाद HC का फैसला
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एन सतीश कुमार और एम जोतिरमन की डिवीजन बेंच ने कहा कि आरोपी को 20 साल तक जेल में रहने तक किसी भी कानूनी छूट या कम्यूटेशन का हक नहीं होगा। यह निर्देश आरोपी की उम्र को देखते हुए जारी किया गया है और उसके सुधरने की संभावना ज्यादा है। वहीं, उच्च न्यायालय ने मनोवैज्ञानिक जांच, जेल के व्यवहार की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद ये फैसला दिया।
\“रेयरेस्ट ऑफ रेयर कैटेगरी में नहीं आता ये केस\“
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले का मूल्यांकन करते समय कि क्या यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर कैटेगरी में आता है, कोर्ट के लिए बैलेंसिंग अप्रोच अपनाना जरूरी है। बेशक, कोर्ट को अपराध की क्रूरता को देखना चाहिए, लेकिन साथ ही सुधार की संभावना, आरोपी की उम्र, सोशियो-इकोनॉमिक बैकग्राउंड और रिहैबिलिटेशन की संभावना जैसे फैक्टर्स को भी देखना चाहिए।
मौजूदा केस का ध्यान से अध्ययन करने पर पता चलेगा कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेय केस की कटेगरी में नहीं आता है। हालांकि यह अपराध बेशक गंभीर और बहुत गंभीर है और इसके लिए ज्यादा से ज्यादा सजा की जरूरत है, लेकिन रिकॉर्ड में रखी गई चीजों से यह नहीं पता चलता कि आरोपी को छोड़ा नहीं जा सकता।
गौरतलब है कि सतीश विद्यालय से ड्रॉप आउट था। वह लगातार सत्या का पीछा करता था। दोनों के परिवार अलंदूर पुलिस क्वार्टर में रहते थे। 13 अक्टूबर 2022 को उसने उसे चेन्नई के सेंट थॉमस माउंट रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के सामने सत्या को धक्का दे दिया।
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