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26/11 में आतंकियों से लड़ने वाला पूर्व NSG कमांडो कैसे बन गया ड्रग माफिया? 200 किलो गांजे के साथ गिरफ्तार

LHC0088 2025-10-4 00:36:23 views 976

  26/11 में आतंकियों से लड़ने वाला पूर्व NSG कमांडो कैसे बन गया ड्रग माफिया? (पीटीआई)





डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान पुलिस ने एक अंतरराज्यीय गांजा तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने एक पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) कमांडो को गिरफ्तार किया है, जिसने मुंबई में 26/11 के आतंकवादी-रोधी अभियान में हिस्सा लिया था। उसे कथित तौर पर गांजा तस्करी गिरोह का सरगना बताया जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आईजीपी विकास कुमार ने बताया कि बजरंग सिंह को बुधवार देर रात चूरू के रतनगढ़ से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि वह कथित तौर पर तेलंगाना और ओडिशा से राजस्थान में गांजा की तस्करी में शामिल था और उसे 200 किलो गांजा के साथ पकड़ा गया। यह \“ड्रग किंगपिन\“ राजस्थान के सीकर जिले का रहने वाला था और उस पर 25,000 रुपये का इनाम था।



उन्होंने बताया कि राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) और मादक पदार्थ निरोधी कार्यबल (ANTF) ने \“ऑपरेशन गंजने\“ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिसके तहत बजरंग सिंह की गिरफ्तारी हुई।
7 साल NSG कमांडो रहा बजरंग सिंह

अधिकारियों के अनुसार, बजरंग ने दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में शामिल हो गया, जहां उसने कुछ समय तक सेवा की और फिर सेवामुक्त हो गया। बाद में, उसने सात साल तक एनएसजी कमांडो के रूप में सेवा की। वह साल 2008 में मुंबई सीरियल बम विस्फोट मामले में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान नेटवर्क का हिस्सा था, जिसे 26/11 आतंकवादी हमले के रूप में जाना जाता है।



आईजीपी कुमार ने बताया कि 2021 में, बजरंग सिंह की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं तब भी सामने आईं थीं, जब उसने अपनी पत्नी को स्थानीय चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की। हालांकि, यह प्रयास विफल रहा। लेकिन इससे उसे स्थानीय हलकों में पहचान मिली और उसका प्रभाव मजबूत हुआ।
ओडिशा और राजस्थान में करता था गांजे की तस्करी

पुलिस ने कहा कि बजरंग सिंह ने ओडिशा और राजस्थान में आपराधिक तत्वों के साथ भी संबंध स्थापित किए और अपने गांव की स्थिति का फायदा उठाकर मादक पदार्थों और आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों को आगे बढ़ाने की कोशिश की।


दो महीने की कोशिशों के बाद गिरफ्तारी

एटीएस और एएनटीएफ की टीमें लगभग दो महीने से उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थीं। गिरफ्तारी से बचने, फर्जी मोबाइल आईडी का इस्तेमाल करने और दूरदराज के गांवों में छिपने की उसकी कोशिशों के बावजूद, तकनीकी खुफिया जानकारी और जमीनी स्तर के मुखबिरों ने उसे चूरू तक पहुंचाने में मदद की।

आईजीपी ने कहा, “यह ऑपरेशन हफ्तों की योजना और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान का नतीजा था। बजरंग जैसे एक कुशल आतंकवादी की गिरफ्तारी राजस्थान में नार्को टेटर के गठजोड़ को बेअसर करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।“



(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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