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अब तक का सबसे सख्त कदम, एक-दूसरे की सुरक्षा जांच करेंगे एनसीआर समेत 17 रेलवे जोन; ये रहा पूरा शेड्यूल

deltin33 2025-11-28 01:08:07 views 506

  



अमरीश मनीष शुक्ल, प्रयागराज। भारतीय रेलवे ने ट्रेन दुर्घटनाओं को शून्य करने के लक्ष्य के साथ सुरक्षा तंत्र में अब तक का सबसे सख्त कदम उठाया है। जनवरी 2026 से देश के सभी 17 रेलवे जोन और कोलकाता मेट्रो की सुरक्षा जांच साल में दो बार दूसरे जोन के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम करेगी। पहले यह इंटर-रेलवे सुरक्षा आडिट साल में एक बार होता था और अक्सर टल भी जाता था, लेकिन अब रेलवे बोर्ड ने इसे अनिवार्य और समयबद्ध बना दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (सुरक्षा) बी.एम. त्रिपाठी ने 26 नवंबर को उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह समेत सभी जोनों के महाप्रबंधकों को पत्र जारी कर नया शेड्यूल भेजा है। इसके तहत जांच दो चरणों में होगी – जनवरी से जून और जुलाई से दिसंबर। हर जोन दूसरे जोन की जांच करेगा और बदले में उसकी जांच होगी।

उदाहरण के लिए उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) की जांच ईस्टर्न रेलवे करेगा, जबकि एनसीआर ईस्टर्न रेलवे की जांच करेगा। इसी चक्रीय व्यवस्था में सेंट्रल रेलवे-वेस्ट सेंट्रल, वेस्टर्न-सेंट्रल, साउथ वेस्टर्न-कोंकण और कोंकण-साउथ सेंट्रल रेलवे एक-दूसरे की जांच करेंगे। यह जांच महज औपचारिक निरीक्षण नहीं होगी।

इसका मुख्य उद्देश्य उन छोटी-छोटी प्रक्रियात्मक चूकों को पकड़ना है जो बड़े हादसों का कारण बनती हैं। ट्रैक, सिग्नल, ब्रेक जैसी दिनचर्या की जांच से आगे बढ़कर यह देखा जाएगा कि कागजी नियमों का धरातल पर पालन हो रहा है या नहीं। हर जांच टीम में पांच विभागों – सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिग्नल एवं टेलीकाम तथा ट्रैफिक – के एसएजी (सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड) स्तर के अधिकारी और टीम लीडर के रूप में जोन का चीफ सेफ्टी आफिसर शामिल होगा। जूनियर अधिकारियों को इसमें कोई स्थान नहीं दिया गया है।

नई व्यवस्था के तहत जांच पूरी होने के सात दिन के अंदर विस्तृत रिपोर्ट संबंधित जोन के महाप्रबंधक को और रेलवे बोर्ड के आनलाइन सेफ्टी आडिट माड्यूल में अपलोड करनी होगी। कमियां मिलने पर संबंधित जोन को 30 दिन के अंदर सुधार कर सबूत देना अनिवार्य होगा। पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी रखी गई है ताकि कागजी खानापूर्ती की कोई गुंजाइश न रहे।

रेलवे बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम इसलिए जरूरी था क्योंकि कई जोन पहले एक बार की जांच को भी टाल देते थे या उसे गंभीरता से नहीं लेते थे। अब हर जोन पर दूसरे जोन की नजर रहेगी, जिससे अपनी कमियां छुपाने का कोई मौका नहीं बचेगा। सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि सुरक्षा-संरक्षा हमारी प्राथमिकता है। यह व्यवस्था उसी क्रम का हिस्सा है ताकि रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था विश्वस्तरीय हो जाए।

2026 इंटर-रेलवे सुरक्षा जांच शेड्यूल
- मध्य रेलवे → पश्चिम मध्य रेलवे : जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त
- पूर्व रेलवे → पूर्व मध्य रेलवे : मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर
- पूर्व मध्य रेलवे → मेट्रो रेलवे, कोलकाता : मई-जून और नवंबर-दिसंबर
- पूर्व तट रेलवे → दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे : मई-जून और नवंबर-दिसंबर
- उत्तरी रेलवे → उत्तर पश्चिम रेलवे : जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त
- उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) → पूर्व रेलवे : मई-जून और नवंबर-दिसंबर
- पूर्वोत्तर रेलवे → उत्तरी रेलवे : मई-जून और नवंबर-दिसंबर
- पूर्वोत्तर सीमान्त रेलवे → दक्षिण रेलवे : जनवरी-फरवरी और सितंबर-अक्टूबर
- उत्तर पश्चिम रेलवे → पश्चिम रेलवे : मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर
- दक्षिण रेलवे → दक्षिण पश्चिम रेलवे : मई-जून और नवंबर-दिसंबर
- दक्षिण मध्य रेलवे → पूर्वोत्तर रेलवे : जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त
- दक्षिण पूर्व रेलवे → पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे : मई-जून और नवंबर-दिसंबर
- दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे → दक्षिण पूर्व रेलवे : मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर
- दक्षिण पश्चिम रेलवे → कोंकण रेलवे : जनवरी-फरवरी और जुलाई-अगस्त
- पश्चिम रेलवे → मध्य रेलवे : मई-जून और नवंबर-दिसंबर
- पश्चिम मध्य रेलवे → उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) : मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर
- मेट्रो रेलवे, कोलकाता → पूर्व तट रेलवे : मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर
- कोंकण रेलवे → दक्षिण मध्य रेलवे : मई-जून और नवंबर-दिसंबर
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