LHC0088 • 2025-11-27 20:07:05 • views 742
तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। नकली टाटा नमक बेचकर लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वाले साहबगंज किराना मंडी के व्यापारी लवकुश प्रसाद की दुकान का लाइसेंस निलंबित हो सकता है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने लवकुश प्रसाद को नोटिस जारी किया है। उनसे तीन दिनों में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर लाइसेंस निलंबित किया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
टाटा कंपनी के जांच अधिकारी नोएडा निवासी डमरू आनंद ने पुलिस से शिकायत की थी कि साहबगंज मंडी में टाटा नमक के ब्रांड नाम से नकली नमक बेचा जा रहा है। 12 नवंबर को राजघाट पुलिस ने लवकुश प्रसाद की दुकान में छापा मारा। तलाशी में नौ बोरों में भरा 225 किलोग्राम नकली टाटा नमक मिला। कंपनी अधिकारी की शिकायत पर राजघाट थाना पुलिस ने व्यापारी लवकुश प्रसाद के खिलाफ कापीराइट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। इसके बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने जांच की। नमक नकली मिलने पर नोटिस जारी किया।
सहायक आयुक्त डा. सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। लोग जागरूक रहें और कहीं भी संदिग्ध खाद्य सामग्री मिले तो तत्काल इसकी शिकायत करें।
दो महीने पहले भी बरामद हुआ था नमक
दो महीने पहले भी राजघाट क्षेत्र में नकली टाटा नमक का बड़ा भंडार पकड़ा गया था। राजघाट थाना पुलिस अब यह खोजबीन कर रही है कि नकली नमक की सप्लाई कहां से आ रही थी और इससे जुड़े अन्य लोग कौन हैं। आगरा में नकली टाटा नमक और सर्फ एक्सल फैक्ट्री का पहले ही भंडाफोड़ हो चुका है। यहां असली पैकिंग में भरकर नमक व सर्फ एक्सल उत्तर प्रदेश व राजस्थान में बेचने की पुष्टि हुई थी।
मछली में मिलावट पर खाद्य सुरक्षा विभाग ने किया सतर्क
मछली को सड़ने और दुर्गंध से बचाने के लिए इन दिनों केमिकल की मिलावट की जा रही है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वह मछली खरीदने में सावधानी बरतें। पिछले दिनों महेवा मंडी में मछली के नमूने में फार्मेलिन की पुष्टि हुई थी। महेवा मंडी में तकरीबन ढाई सौ क्विंटल मछली की बिक्री होती है। इसके अलावा जिले के अन्य स्थानों से भी भारी मात्रा में मछली बेची जाती है।
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डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि मिलावटखोर मछली को लंबे समय तक ताजा दिखाने के लिए अवैध रूप से फार्मेलिन व फार्मेल्डिहाइड मिलाते हैं। यह कैंसरकारी है और खाद्य पदार्थों में इसका उपयोग प्रतिबंधित है। सड़ी मछली की बदबू छिपाने के लिए अमोनिया या अमोनियम यौगिक का इस्तेमाल किया जाता है। मछली को सफेद, चमकदार और ताजा दिखाने के लिए हाइड्रोजन पराक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है।
सोडियम बेंजोएट, पुरानी मछली को धुलकर ताजा जैसा दिखाने के लिए क्लोरीन युक्त पानी, मछली का वजन बढ़ाने के लिए उसमें इंजेक्शन के माध्यम से पानी डाला जाता है। मछली को गंदे पानी से बने बर्फ में रखा जाता है। इससे माइक्रोबियल संक्रमण बढ़ता है। मछली को चमकदार व सख्त दिखाने के लिए जेल या चिपचिपा पदार्थ लगाया जाता है।
मिलावटी मछली खाने से आंख, नाक, गले में जलन, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, लिवर व किडनी पर असर पड़ता है। बच्चों व बुजुर्गों में अधिक जोखिम है। त्वचा एलर्जी, सांस की समस्या भी हो सकती है। डा. सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि बिल्कुल बदबू न होना, अत्यधिक चमक या बहुत सख्त मांस होना, आंखें धंसी या कल्ले भूरे होना, मांस दबाने पर वापस न उछले तो ऐसी मछली खाने योग्य नहीं मानी जाती है। |
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