deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

जम्मू-कश्मीर में कछुओं के संरक्षण के लिए वन्यजीव विभाग की पहल, मानसर-सुरंईसर में इन 5 प्रजातियों का होगा प्रजनन

deltin33 2025-11-27 18:38:42 views 628

  

मानसर और सुरंईसर झीलें कछुओं के लिए जानी जाती हैं।



अजय मीनिया, कठुआ। जम्मू-कश्मीर की विख्यात मानसर सुरंईसर झीलों में कछुओं की पांच प्रजातियाें के विलुप्त होने का खतरा है। जिन्हें बचाने के लिए अब वन्यजीव विभाग झीलों के सभी किनारों के पास इन प्रजातियों का प्रजनन कराएगा।

दरअसल, कछुओं की ये प्रजातियां जब अंडे देती हैं तो झील के किनारे आकर देती हैं। जो मानव एवं जानवरों के दखल से नष्ट हो जाते हैं। जिसके चलते इनकी संख्या नहीं बढ़ पा रही।

संख्या लगातार कम हो रही है। बढ़ नहीं रही। इसके लिए ऐसा ढांचा विकसित किया जाएगा। जो मानव और जनवर दोनों का दखल रोके। ये झीलें कछुओं के लिए जानी जाती हैं। साथ ही क्षेत्र में पारिस्थितिकी संकेतक के रूप में मौजूद हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
संख्या कम होने पर वन्यजीव ने उठाया कदम

जानकारी के अनुसार इन कछुओं की पांच प्रजातियों में फ्लैप शेल, साफ्ट शेल, इंडियन रूफ्ड, इंडियन टेंट और ब्राउन रूफ्ड कछुए शामिल हैं। इस प्रजाति के कछुए मानसर सुरईंसर झील में मछलियों के साथ अकसर दिखते थे। बीते कुछ समय से इनकी संख्या लगातार कम होता देख वन्यजीव विभाग ने इन्हें वन्यजीवों की संकटग्रस्त सूची में शामिल कर लिया है। कठुआ वन्यजीव डिविजन के अधीन आने वाली इन झीलों में कछुओं के संरक्षण के लिए कुछ ही दिनों में ये परियोजना शुूरू होगी।
सुरक्षित प्रजनन की व्यवस्था की जा रही

डिविजन वन्यजीव वार्डन विजय कुमार का कहना है कि जब कछुए किनारों के नजदीक आकर अंडे देते हैं। वो मानव एवं अन्य जीवों के दखल से नष्ट हो जाते हैं। अब इनका प्रजनन कराया जाएगा। इसके तहत सभी किनारों पर जहां ये अंडे देते है, उसके लिए अलग ढांचा बनाएंगे। जिससे कि इनके अंडे नष्ट न हों। वे सुरक्षित रहें और इससे इनका प्रजनन हो सके। दोनों ही झील जम्मू कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण हैं। कछुए इनके पारिस्थितिकी संकेतक के लिए जरूरी हैं।
पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र ये दोनों झीलें

बता दें कि ये दोनों झीलें जम्मू कश्मीर में पर्यटन के लिए विख्यात हैं। हजारों लोग हर महीने जहां पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं। झील में पाई जाने वाली मछलियां और कछुए झीलों का मुख्य आर्कषण हैं। जिनकी धार्मिक महत्वता भी है। लोग मछलियों और कछुओं को आटा खिलाते हैं। हर रविवार और छुट्टी के दिन दोनों झीलों में आने वालों की काफी संख्या रहती हैं। विभाग ये भी प्रयास कर रहा है कि झीलों के कम होते पानी के स्तर को भी बढ़ाया जाए। ताकि ये संरक्षित रह सकें।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

610K

Threads

0

Posts

1810K

Credits

administrator

Credits
188467