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20 करोड़ की ठगी करने वाले नासिक से गिरफ्तार, गोरखपुर में दर्ज है 10 अपराधिक मामले

deltin33 2025-11-27 01:58:32 views 84

  



जागरण संवाददाता, वाराणसी। एक साल में धन तीन गुणा करने का झांसा देकर 20 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले दंपती समेत तीन को सारनाथ पुलिस ने महाराष्ट्र के नासिक के गंगापुर स्थित ईडन अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया है। आरोपितों के पास से फर्जी मुहर, चेक बुक, पास बुक, पैन कार्ड आदि बरामद हुए हैं। इस मामले में तीन अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पकड़े गए ठगों के बारे में एसीपी क्राइम विदुष सक्सेना ने बताया कि सारनाथ के आशापुर निवासी अमित कुमार ने सारनाथ थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने बताया था कि वर्ष 2022 में उपेंद्र नाथ जैसवार उर्फ राजेंद्र जैसवार ने सारनाथ म्यूजियम स्थित पार्क में सेमिनार का आयोजन किया था। इसमें वाराणसी, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, जौनपुर के लोग शामिल हुए थे। इसमें ट्रेडिंग कंपनी डीडी फाइनेंस सर्विसेज के प्रमोशन और निवेश के बारे में जानकारी दी गई।

शेयर ट्रेडिंग समेत अन्य प्रोजेक्ट में निवेश करके एक साल में धन तीन गुना करने का दावा किया गया था। उन पर भरोसा करके अमित ने दस लाख रुपये का निवेश किया। अपने रिश्तेदारों से भी निवेश कराया, लेकिन किसी को रुपये वापस नहीं मिले। इस मामले में उपेंद्र जैसवार, उसकी पत्नी, बेटों पुत्रवधू समेत आठ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। सारनाथ पुलिस के साथ सर्विलांस सेल ने मामले की जांच शुरू की।

इसी दौरान उनका लोकेशन महाराष्ट्र के नासिक के गंगापुर में मिली। सारनाथ थाना प्रभारी शिवानंद सिसोदिया, सौरभ तिवारी, रोहित तिवारी, अरविंद यादव की टीम ने राजेंद्र प्रसाद जैसवार, उसकी पत्नी धनौती देवी व पुत्रवधू संगीता को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में राजेंद्र के तीन बेटों की तलाश की जा रही है।

फर्जी कंपनी बनाकर कराते थे निवेश
राजेंद्र फर्जी कंपनी बनाकर शेयर मार्केट में ट्रेडिंग व अन्य प्रोजेक्ट में निवेश के बहाने ठगी करता था। उसने पत्नी धनौती के नाम से डीडी फाइनेंस नाम से कंपनी बनाई थी। इसका संचालन बेटे उपेंद्र, अनिल, संदीप करते थे। लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए जगह-जगह सेमिनार करते, इंटरनेट मीडिया के जरिए संपर्क करते थे। पुलिस के अनुसार सभी ने मिलकर लगभग 500 लोगों को साथ 20 करोड़ रुपये की ठगी की है। राजेंद्र मूलरूप से गोरखपुर के बरईपार निवासी है।

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राजेंद्र और उसकी पत्नी और बेटों के खिलाफ दस मुकदमे दर्ज हैं। राजेंद्र पर दस हजार रुपये का इनाम भी घोषित है। सभी ने महाराष्ट्र को अपना ठिकाना बनाया था। स्थान बदलकर रहते और अपनी पहचान भी छिपाए रखते थे।

मोबाइल हैंडसेट से मिल गया सुराग :
राजेंद्र और अन्य आरोपित अपना मोबाइल नंबर बदलते रहते थे। हालांकि डाटा होने के कारण मोबाइल फोन में नहीं बदलते थे। मोबाइल फोन के आइएमइआइ नंबर से साइबर टीम लगातार उनका पीछा करती रही। आखिरकार उनका सुराग मिल गया और पकड लिए गए।
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