deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Papankusha Ekadashi पर इस तरह प्राप्त करें भगवान विष्णु की कृपा, पढ़ें पूजा विधि, मंत्र व आरती

Chikheang 2025-10-3 14:06:01 views 1242

  Papankusha Ekadashi पूजा विधि, मंत्र और आरती।





धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने में 2 बार एकादशी तिथि पड़ती है। ऐसे में साल में 24 एकादशी के व्रत किए जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। कई साधक इस दिन पर अपनी श्रद्धा के अनुसार, निर्जला व्रत भी करते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एकादशी पूजा विधि

एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद स्नानादि करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें। अब पूजा स्थल पर एक चौकी पर आसन बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें।



प्रभु श्रीहरि के समक्ष एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं और विधि-विधान से पूजन करें। पूजा में भगवान विष्णु को पीले फूल, पीले वस्त्र, तुलसी दल, चंदन आदि अर्पित करें। भोग के रूप में फल, पंचामृत और मिठाई आदि अर्पित करें। अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें।

  

(Picture Credit: Freepik) (AI Image)


करें इन मंत्रों का जप -

1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

2. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

3. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्



वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

  
भगवान विष्णु की आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।



सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे...

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।



स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे...

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।



स्वामी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे...

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

यह भी पढ़ें - Papankusha Ekadashi के दिन तुलसी से जुड़ी इन बातों का रखें ध्यान, खुशियों से भर जाएगा जीवन



यह भी पढ़ें - Papankusha Ekadashi के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें, जीवन में मिलेंगे सभी सुख

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

710K

Credits

Forum Veteran

Credits
70922