चुनाव परिणाम पर महागठबंधन ने उठाए सवाल। जागरण आर्काइव
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। Bihar Politics: दूसरे कई उदाहरणों की तरह राजनीति भी किसी पर अंगुली उठाते हुए यह ख्याल नहीं करती कि अपनी ही तीन-चार अंगुलियां स्वयं की ओर घूम गई हैं।
बिहार में तो इसका ख्याल बिल्कुल ही नहीं। चुनाव परिणाम पर जताई जा रही आशंकाओं से तो यही आभास हो रहा। मिलते-जुलते अंकों के आधार पर विधानसभा की कुछ सीटों के परिणाम को महागठबंधन, विशेषकर राजद, संदिग्ध बता रहा।
कम मतों से जीत-हार वाली सीटों पर सवाल
इसके अलावा कम मतों के अंतर से हुई जीत-हार को भी वह बेईमानी का प्रतिफल मान रहा, क्योंकि वहां अपेक्षाकृत अधिक संख्या में पोस्टल बैलेट निरस्त हुए।
हालांकि, बिहार सहित दूसरे राज्यों के चुनाव परिणाम का आकलन करने पर राजद की यह आशंका निर्मूल प्रतीत होती है।
उसकी ताजातरीन आशंकाओं से मिलते-जुलते उदाहरण बिहार में पहले भी रहे हैं और उन राज्यों में भी, जहां महागठबंधन के घटक दल सत्तारूढ़ हैं।
आयोग ने असंगत बताया आरोपों को
राजद ने 20 नवंबर को एक्स पर पोस्ट के जरिये दावा किया कि करीबी अंतर वाली तीन सीटों (नवीनगर, अगिआंव और संदेश) पर बैलेट वोट जान-बूझकर अमान्य किए गए, जिससे महागठबंधन हार गया।
जीत-हार का आंकड़ा देते हुए लिखा कि जबरन बेईमानी से हराई गई सीटों के झकझोरने वाले आंकड़े! बाद में दो सीटों (राजगीर और कुढ़नी) पर एनडीए प्रत्याशियों को मिले समान मत को उसने बेईमानी का उदाहरण बताया।
पार्टी के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह तो प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के ईवीएम में पहले से 25000 वोट लोड होने का दावा किया।
निर्वाचन आयोग ने आरोपों को असंगत बताया। इस तर्क के साथ कि ईवीएम आफलाइन हैं। उसमेंं कोई वाई-फाई या ब्लूटूथ नहीं, लिहाजा छेड़छाड़ असंभव है।
वीवीपैट से भी कोई बेमेल उदाहरण भी नहीं। नियमों के अनुसार (जैसे गलत हस्ताक्षर, लिफाफा आदि) बैलेट वोट निरस्त किए गए। फिर भी राजद आरोपों को दोहरा रहा।
11 सीटों पर एक हजार से कम वोटों से निर्णय
उल्लेखनीय है कि उपरोक्त तीन सीटों के अतिरिक्त इस बार 11 सीटों पर 1000 वोटों से कम के अंतर से निर्णय हुआ है। उन 11 में राजद को तीन, कांग्रेस को दो और बसपा को एक सीट मिली है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शेष पांच में से जदयू और लोजपा-रामविलास को दो-दो, जबकि भाजपा को एकमात्र सीट मिली है। 2020 में भी बिहार में 11 सीटों का निर्णय हजार से कम मतों के अंतर से हुआ था।
उससे पहले यानी 2015 के चुनाव में ऐसी सीटें आठ रहीं। चुनावी आंकड़ों का विश्लेषण करने वाला सीएसडीएस वस्तुत: कांटे की टक्कर और वोटों के ध्रुवीकरण का प्रतिफल मानता है।
दूसरे राज्यों में भी हुए हैं ऐसे परिणाम
बिहार की तरह ही झारखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना आदि में भी करीबी मुकाबले वाली सीटों के उदाहरण भरे पड़े हैं, जहां राजद और उसके शुभेच्छु दल सत्ता में हैं।
हिमाचल में तो कुल 15 सीटों का निर्णय 2000 वोटों से कम अंतर से हुआ, जबकि आठ सीटों पर यह अंतर 1000 वोटों से कम का रहा।
उनमें से अधिसंख्य सीटें कांग्रेस ने जीतीं। 81 सीटों वाले झारखंड में तो 1000 से कम मतों के अंतर से निर्णय के पांच उदाहरण हैं। मिलते-जुलते अंकों वाले परिणामों की तो भरमार-सी है।
मिलते-जुलते अंकों वाले परिणाम
बिहार-2025
- राजगीर में जदयू को 107811 वोट
- कुढ़नी में भाजपा को 107811 वोट
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- बिहार-2020
- मीनापुर : 60018
- औरंगाबाद : 70018
- कसबा : 77410
- गोह : 81410
- बखरी : 72177
- बिक्रम : 86177
- किशनगंज : 61078
- दरौली : 81067
- नाथनगर : 78832
- धोरैया : 78646
- दरभंगा ग्रामीण : 64929
- कांटी : 64458
- बाजपट्टी : 71483
- बड़हरा : 71793
(नोट : सभी सीटें गई थीं महागठबंधन को)
झारखंड-2024
- सिमडेगा : 75392
- कोलेबिरा : 75376
- जामताड़ा : 133266
- कनके : 133499
- धनबाद : 136336
- मंदार : 135936
- गांडेय : 119372
- सरायकेला : 119379
- जरमुंडी : 94892
- डुमरी : 94496
तेलंगाना-2023
- धर्मपुरी : 91393
- नारायणखेड : 91373
- नकरेकल : 133540
- अलाइर : 122140
- देवराकोंडा : 111344
- सथुपल्ली : 111245
- येल्लारेड्डी : 86989
- विकराबाद : 86885
- मंचेरियल : 105945
- हुसनाबाद : 100955
हिमाचल प्रदेश-2022
- नाचन : 33200
- कसौली : 28200
- भोरंज : 24779
- सुजानपुर : 27679
- चंबा : 32783
- चिंतपुर्णी : 32712
- शाहपुर : 36603
- कुटलेहर : 36636
- बरसार : 30293
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