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AI की पटरी पर दौड़ी रेलवे, डिब्बों में पानी बताने लगी स्मार्ट लाइट

Chikheang 7 hour(s) ago views 81

  

ट्रेन के डिब्बे में पानी भरता रेल कर्मचारी। (फाइल फोटो)



तापस बनर्जी, धनबाद। Artificial Intelligence: लंबी दूरी की ट्रेनों में पानी खत्म हो जाने की यात्रियों की अक्सर शिकायत रहती है। विशेष कर लंबी दूरी की ट्रेनों में पानी खत्म हो जाए तो यात्रियों को खासी दुश्वारियां झेलनी पड़ती है। इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे ने ट्रेनों में सेंसर आधारित वाटर लेवल इंडीकेटर लगाया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

धनबाद से खुलने वाली ट्रेनों के 100 कोच में उपकरण लगाए जा चुके हैं। अन्य में लगाने की प्रक्रिया जारी है। इससे लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्रा के दौरान बीच में पानी खत्म होने की शिकायत हुई है। यात्रियों को बड़ी राहत मिल गई है।


दरअसल, फरवरी में रेलवे बोर्ड ने देशभर के जोनल रेलवे की ओर से वाटर लेवल इंडीकेटर लगाए जाने का आंकड़ा जारी किया था। पूर्व मध्य रेल को तेजी लाने का निर्देश भी दिया गया था। इसके तहत धनबाद में दो अलग-अलग एजेंसी ने वाटर लेवल इंटीकेटर लगाए। एक ने 62 व दूसरी एजेंसी ने 38 उपकरण लगाए।  
ऐसे काम करता है वाटर लेवल इंडिकेटर

वाटर लेवल इंडिकेटर (Water Level Indicator)यानी जल स्तर संकेतक एक वास्तविक समय जल निगरानी प्रणाली है, जो सटीकता के साथ जलस्तर को मापता है। इसमें लगे सेंसर की तकनीक हाइड्रोस्टेटिक वाटर लेवल सेंसर पानी के दबाव के आधार पर काम करता है।

टैंक में जैसे ही पानी का दबाव घटना है सेंसर सिग्नल भेजता है और कोच में लगी लाइट जल उठती है। इस प्रणाली के लग जाने से कोच में लगे पानी टैंक में 70% से कम पानी होने पर संबंधित सुपरवाइजर और अन्य संबंधित के मोबाइल पर अलर्ट मैसेज पहुंच जाता है।

इससे अगले स्टेशन पर समय रहते ट्रेन में जलापूर्ति कर दी जाती है और यात्रियों को यात्रा के बीच पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।  
फैक्ट फाइल

- पुराने आइसीएफ स्लीपर या नान एसी के प्रत्येक कोच के टायलेट के ऊपर की एक ओर की टंकी में 455 लीटर
- एलएचबी कोच के टायलेट के ऊपर के की एक ओर की टंकी में 685 लीटर पानी
धनबाद व गोमो में क्विक वाटरिंग सिस्टम

प्रधानखंता से मानपुर तक फैले धनबाद रेल मंडल के लगभग 200 किमी हिस्से में ट्रेनों में जलापूर्ति के लिए धनबाद व गोमो में क्विक वाटरिंग सिस्टम लगा है।

धनबाद में धनबाद खुलने वाली ट्रेनों के साथ हावड़ा, कोलकाता व सियालदह से आनेवाली ट्रेनों में जलापूर्ति की जाती है। गोमो में ओडिशा व रांची होकर आनेवाली आने-जानेवाली ट्रेनों में जलापूर्ति की व्यवस्था है।
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