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10 हजार साल बाद क्यों फटा इथियोपिया में ज्वालामुखी, भारत समेत किन-किन देशों तक होगा इसका असर? पूरी डिटेल

Chikheang Yesterday 04:33 views 875

  

10 हजार साल क्यों फटा इथियोपिया में ज्वालामुखी (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इथियोपिया के दनाकिल इलाके में आज सुबह एक बेहद दुर्लभ ज्वालामुखी विस्फोट हुआ। हैली गुब्बी नाम का यह ज्वालामुखी, जो अब तक शांत माना जाता थाअचानक फट पड़ा। यह जगह मशहूर एरटा एले ज्वालामुखी से करीब 15 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सुबह लगभग 8:30 बजे (स्थानीय समय) हुए विस्फोट में बेहद ऊंचा राख का बादल बना, जो 10 से 15 किलोमीटर तक ऊपर उठ गया और हवा के साथ बहकर दक्षिण-पश्चिमी अरब प्रायद्वीप की ओर चला गया।
कितने सालों बाद फिर सक्रिय हुआ ज्वालामुखी?

हैली गुब्बी एक शील्ड-टाइप ज्वालामुखी है और इथियोपिया के दूर-दराज अफार क्षेत्र में आता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस ज्वालामुखी के होलोसीन काल (कई हजार साल) में विस्फोट का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। माना जाता है कि यह 10,000-12,000 साल बाद फिर से सक्रिय हुआ है।

इलाका बेहद दूर और कठिन है, इसलिए ज्वालामुखी की निगरानी आम तौर पर सैटेलाइट के जरिए ही होती है। इसी कारण विस्फोट से जुड़ी शुरुआती जानकारी भी उपग्रहों से ही मिली है।
सैटेलाइट तस्वीरों में दिखा SO₂

सैटेलाइट तस्वीरों में राख के साथ सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) की बड़ी मात्रा भी दिखाई दी है। हालांकि यह क्षेत्र आबादी से दूर है और अब तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन इतनी ऊंचाई तक पहुंची राख हवाई जहाजों के लिए खतरा बन सकती है। स्थानीय चरवाहों और पर्यावरण पर भी इसका कुछ असर पड़ सकता है, क्योंकि राख जमीन पर गिर सकती है।

यह पूरा इलाका अफार रिफ्ट कहलाता है, जहां अफ्रीकी प्लेट धीरे-धीरे अलग हो रही है। यहां कई ज्वालामुखी हैं, जिनमें एरटा एले लगातार सक्रिय रहता है। हैली गुब्बी का अचानक फटना वैज्ञानिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इतने लंबे समय शांत रहने वाले ज्वालामुखी का फिर से सक्रिय होना रिफ्ट जोन की गहराई में होने वाली गतिविधियों पर नई जानकारी दे सकता है।
आगे फिर विस्फोट की संभावना है या नहीं?

ताजा रिपोर्ट के अनुसार, विस्फोट का सबसे तेज चरण अब काफी हद तक थम गया है। लेकिन वैज्ञानिक अभी भी लावा की हलचल, धरती की कंपकंपी और गैसों के स्तर पर नजर रख रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि आगे किसी और विस्फोट की संभावना है या नहीं।

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