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कानपुर की 16 बस्तियों में मिले 1000 से ज्यादा घुसपैठिए, बंगाल-झारखंड की ID पर रह रहे

LHC0088 Yesterday 01:07 views 220

  



जागरण संवाददाता, कानपुर। आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुके बांग्लादेश व म्यांमार से आए घुसपैठियों को चिह्नित करने का अभियान तेज हो गया है।

शहर में भी अब तक 16 बस्तियों में रह रहे एक हजार से ज्यादा संदिग्ध घुसपैठिये चिह्नित हुए। इन लोगों के पास झारखंड व बंगाल की आइडी मिली थी। अब जांच टीमें उन लोगों की आइडी के सत्यापन के लिए उनके राज्यों में पत्राचार किया है। जवाब न मिलने पर टीम यहां से जांच करने भी जा सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दिल्ली बम धमाके के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घुसपैठियों की धड़पकड़ के लिए प्रदेश के सभी जिलों में अभियान के तहत उन्हें चिह्नित करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्हें रखने के लिए हर जिले के डीएम को अस्थायी डिटेंशन सेंटर स्थापित करने का भी कहा, जिससे घुसपैठियों को यहां रखकर उनके उनके देश में वापस भेजने की कार्यवाही कराई जा सके। इसके बाद शहर में भी अभियान तेज कर दिया गया।

हालांकि पूर्व में ही यहां 16 बस्तियों से एक हजार से ज्यादा संदिग्ध मिले हैं, जिनके पास आधार और मतदाता पहचान पत्र झारखंड, बंगाल व असम की मिली है, लेकिन उनकी शक्त सूरत दूसरे देश के लोगों की तरह ही है।

मामले में एक अधिकारी ने बताया कि सभी के दस्तावेज उनके राज्यों के डीएम को भेज सत्यापित कराया जा रहा है, जिनके दस्तावेजों का सत्यापन नहीं होगा। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल बस्तियों व अन्य मुहल्लों में खुफिया व पुलिस टीमें जांच पड़ताल कर रही है।
बड़ा चौराहे से पकड़ा गया रोहिंग्या अब भी जेल में

बड़े चौराहे पर आटो चलाने के दौरान 20 मई की रात कोतवाली पुलिस ने म्यांमार के साइडुय मंगडो शहर कयंम डेंग सिद्दर फरा गांव के रहने वाले राेहिंग्या मो. साहिल को पकड़ा था। वह वर्ष 2017 से परिवार के साथ शुक्लागंज के शक्तिनगर में रह रहा था।उन सभी के दस्तावेज पूर्व सभासद ने गलत तरह से बनवाए थे। कोतवाली पुलिस ने साहिल को जेल भेजा था। इसके बाद शुक्लागंज पुलिस ने उसके परिवार के सदस्यों को भी जेल भेजा था।
पुलिस लाइन के बगल में रहने वाले परिवार जांच में नहीं मिले रोहिंग्या

अधिकारियों ने पुलिस लाइन के बगल में लगभग 40 साल से रह रहे 20 परिवारों को रोहिंग्या होने की आशंका पर उनकी जांच कराई थी, जिनका सत्यापन हुआ, लेकिन जांच में उनमें से एक भी रोहिंग्या नहीं पाया गया, लेकिन जांच में सामने आया कि सभी अवैध रूप से रह रहे थे। अब उन सभी को वहां से हटवाने के लिए अधिकारी ने नगर निगम को पत्र भेजने की बात कही है।
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