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पूर्व CJI बीआर गवई ने राष्ट्रपति भवन में ही क्यों छोड़ दी अपनी ऑफिशियल मर्सिडीज कार? सामने आई वजह

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पूर्व CJI बीआर गवई ने राष्ट्रपति भवन में ही क्यों छोड़ दी अपनी ऑफिशियल मर्सिडीज कार (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अपने रिटायरमेंट के बाद एक अलग उदाहरण पेश किया। जब राष्ट्रपति भवन में नए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने शपथ ली तो गवई ने अपने लिए आई आधिकारिक काली मर्सिडीज कार का उपयोग नहीं किया और वे अपनी निजी वाहन से ही घर लौटे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सूत्रों के मुताबाकि, गवई ने यह कदम इसलिए उठाया था ताकि उनके उत्तराधिकारी नए CJI सूर्यकात को पहले दिन से ही आधिकारिक वाहन उपलब्ध हो सके। अपने आधिकारिक आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान बीआर गवई ने साफ कहा कि वे किसी भी तरह की पोस्ट-रिटायरमेंट सरकारी जिम्मेदारी नहीं लेंगे।
नहीं लेंगे कोई सरकारी पद

उन्होंने कहा, “मैंने शुरुआत में ही कह दिया था कि मैं कोई पद नहीं लूंगा। अब 9-10 दिनों का कूलिंग ऑफ पीरियड है। उसके बाद नई पारी शुरू होगी।“ बता दें, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत को भारत के 53वें CJI के रूप में शपथ दिलाई। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी समारोह में मौजूद थे।

रिटायरमेंट से पहले गवई ने कई मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखी। उन्होंने कॉलिजियम सिस्टम का बचाव किया और कहा कि आरक्षण का लाभ बार-बार एक ही परिवारों को नहीं जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि अपने कार्यकाल में वे कोई महिला न्यायाधीश नियुक्त नहीं कर पाए, जिसका उन्हें अफसोस है।
बीआर गवई ने क्रीमी लेयर पर क्या कहा?

गवई ने खुद दलित समुदाय से आते हैं, उन्होंने क्रीमी लेयर की अवधारणा को SC वर्ग में लागू करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि एक मुख्य सचिव के बेटे और एक खेत मजदूर के बच्चे की प्रतियोगिता बराबरी पर नहीं हो सकती, इसलिए आरक्षण उन तक जाना चाहिए जिन्हें इसकी असली जरूरत है।
CJI सूर्यकांत ने कार्यवाही शुरू की

शपथ के बाद नए CJI सूर्याकांत ने सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 1 में कार्यवाही शुरू की। उनके साथ जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर भी बेंच में शामिल रहे। सूर्याकांत का कार्यकाल लगभग 15 महीने का होगा।

वे सुप्रीम कोर्ट में कई अहम फैसलों से जुड़े रहे हैं, जिनमें अनुच्छेद 370 को हटाने, पेगासस मामले, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नागरिकता अधिकार और चुनावी सुधार से जुड़ी सुनवाई शामिल है। सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे और पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में भी कई महत्वपूर्ण फैसले दे चुके हैं।
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