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दिल्ली में सड़क सुरक्षा दांव पर, 90% जगहों पर गायब स्टॉप लाइन, धुंधली क्रॉसिंग और टूटे संकेत बोर्ड बने मुसीबत

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कई मुख्य मार्गों पर किनारे खड़े पेड़ों की छंटाई नहीं होने से साइनेज बोर्ड टहनियों में छिप गई हैं। जागरण



नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। ठंड के मौसम में शाम ढलते ही स्माग का चादर गहरा होने लगा है। अगले माह कोहरे की परत सड़कों पर वाहनों के सामने ऐसी होगी जिसमें कुछ मीटर दूर भी दिखाई देना बंद हो जाएगा। तब वाहनों के लिए सड़कों की लेन मार्किंग तथा साइनेज ही उन्हें सुरक्षित यात्रा की राह बताते हुए मंजिल तक पहुंचाएगी, लेकिन दिल्ली में कई मार्गों पर यह भी वाहन चालकों का साथ बीच रास्ते छोड़ देते हैं, जिसके चलते दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। उसमें भी अधिकतर मार्गों पर मानकों के अनुरूप साइनेज व लेन मार्किंग भी नहीं है, जिसके चलते दिन में भी उसका पालन वाहन चालकों के लिए कठिनाई भरा होता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
धूमिल है जेब्रा क्राॅसिंग व लेन मार्किंग

कई मुख्य मार्गों पर किनारे खड़े पेड़ों की छंटाई नहीं होने से साइनेज बोर्ड टहनियों में छिप गई हैं, ऐसे में रात के अंधेरे में उसके न दिखाई न देने से दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। कई इलाकों में पिछले कई वर्ष से पेड़ों की छंटाई नहीं हुई है।

उसमें दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश, कालकाजी, रिंग रोड पर आश्रम के पास से लेकर उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी, सुल्तानपुरी, मंगोलपुरी, कंझावला, पीतमपुरा और रिठाला, कंझावला चौक, पश्चिमी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली की कई सड़कों पर पेड़ों के पीछे साइनेज के छिपे होने के मामले अधिक है।

पीडब्ल्यूडी विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, विभाग में अधिकारियों की कमी उसमें सबसे बड़ी बाधा बन रही है। उद्यान विभाग के 68 प्रतिशत पद रिक्त है। कुल 54 पदों में से 37 पद रिक्त है। उसमें भी उद्यान विभाग और वन विभाग के बीच सहमति नहीं बन पाने की वजह से पेड़ों की छंटाई में परेशानी होती है।

उद्यान विभाग द्वारा पेड़ों को खतरनाक बताने पर वन विभाग साक्ष्य मांगता है। इससे अक्सर अनुमति का मामला फंस जाता है।
फुटओवर ब्रिज के पीछे छिपा साइना बोर्ड

बाहरी दिल्ली के सरस्वती विहार बस स्टाप के पास रिंग रोड पर साइन बोर्ड फुटओवर ब्रिज के पीछे छिप गया है। सड़क के दोनों ओर यह स्थिति है। इस कारण वाहन चालक राह भटकते दिखे। सुल्तानपुरी लौहा मार्केट के पास सड़क किनारे लगा साइन बोर्ड पेड़ की शाखाओं के पीछे छिप गया है।

ऐसा ही हाल रोहिणी सेक्टर-सात की नाहरपुर मार्केट के बाहर और रोहिणी के अंबेडकर अस्पताल आसपास भी दिखाई दिया। इसके अलावा रोहिणी सेक्टर-तीन में भी साइन बोर्ड पर पेड़ की शाखाएं दिखाई दी जबकि सुल्तानपुरी और कंझावला चौक के पास कई साइन बोर्ड क्षतिग्रस्त स्थिति में दिखाई दिए।

इस क्षेत्र में अधिकांश सड़कों पर जेब्रा क्रासिंग भी धुंधली है। मधुबन चौक पर जेब्रा क्रासिंग धुंधली होने के कारण वाहन चालक उससे आगे दिखाई दिए। वाहन चालक रवि ने बताया कि जेब्रा क्राॅसिंग ही नहीं दिख रही। जिसकी वजह से वाहन चालक रेड लाइट तक आ गए हैं।
दक्षिणी दिल्ली खंभे तो हैं पर साइनेज गायब

दक्षिणी दिल्ली के कई प्रमुख मार्गों पर पेड़ की वजह से दिशा सूचक साइनेज ठीक तरह से दिख नहीं रहे, वहीं कुछ जगहों पर साइनेज क्षतिग्रस्त मिले।

आउटर रिंग रोड पर मोदी मिल से आगे बढ़ने पर एनएसआइसी (नेशनल स्माल इंडस्ट्री कारपोरेशन) के गेट के नजदीक कालकाजी फ्लाईओवर से ठीक पहले दिशा सूचक के लिए खंभे तो लगे हैं, पर नेहरू प्लेस व मां आनंदमयी मार्ग की ओर जाने के लिए लगे साइनेज पिछले चार महीने से गायब हैं। इसके चलते अक्सर नए वाहन चालक भ्रमित हो जाते हैं।

मां आनंदमयी मार्ग जाने वाले वाहन चालक फ्लाईओवर पर चढ़ जाते हैं, जिन्हें 800 मीटर आगे नेहरू प्लेस फ्लाईओवर के नीचे से यू-टर्न लेकर वापस आना पड़ता है।

वहीं, नेहरू प्लेस जाने वाले लोग नीचे वाले मार्ग पर चले जाते हैं, जिन्हें ट्रैफिक सिग्नल पर रुकना पड़ जाता है। ऐसा ही कुछ हाल आउटर रिंग रोड पर जीके-एक से नेहरू प्लेस आने वाले मार्ग पर भी है।

यहां तीन साइनबोर्ड लगे हैं, जो पेड़ों की ओट में छिपे हैं, जबकि एक पिछले 10 दिनों से टूटा पड़ा है। सराय काले खां से आश्रम आने वाले मार्ग पर सूर्य घड़ी के पास भी फरीदाबाद व गुरुग्राम की दिशा बताने वाले साइन बोर्ड भी पिछले कई दिनों से क्षतिग्रस्त हैं।
विकास मार्ग पर लेन मार्किंग धुंधली

पूर्वी दिल्ली में सड़कों पर लेन मार्किंग का ख्याल नहीं रखा जा रहा। विकास मार्ग पर मार्किंग धुंधली हो गई है। इसी तरह सूरजमल विहार रोड, स्वामी दयानंद मार्ग, जीटी रोड, ऋषभ विहार रोड, चौधरी चरण सिंह मार्ग पर भी यही हाल है। गाजीपुर डेरी फार्म की रोड तो मार्किंग ही नहीं है। साइन बोर्ड ज्यादातर स्थानों पर ठीक दिखे।
दिल्ली की सड़कों पर यह समस्या है आम

  • सड़कों पर क्राॅसिंग, मर्जिंग व डायवर्जन के साइनेज नहीं, खासकर फ्लाईओवर पर प्रवेश व निकासी के दौरान जरूरी, इसके कारण यहां होती है सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं।
  • 80 प्रतिशत सड़कों पर जेब्रा क्रासिंग के बीच में डिवाइडर, जिसके चलते पैदल यात्री को डिवाइडर पर चढ़कर या सड़क पर आकर पार करनी होती है सड़क।
  • सड़कों की चौड़ाई में एकरूपता नहीं, कहीं साढ़े आठ मीटर तो कहीं 11 मीटर तक चौड़ी सड़कों में लेन मार्किंग में एकरूपता नहीं, जिससे चालक होते हैं भ्रमित।
  • कहीं लेन मार्किंग के बीच की चौड़ाई साढ़े तीन मीटर तो कहीं पांच मीटर, ऐसे में कैसे हो लेन अनुशासन।
  • दिल्ली की 90 प्रतिशत से अधिक सड़कों पर जेब्रा क्राॅसिंग से पहले स्टाप लाइन नहीं है। वाहनों को रुकने के लिए एक से डेढ़ मीटर पहले इसका प्रविधान है।
  • यातायात के विलय व पृथककरण के 10 से 20 मीटर पहले गोर एरिया मार्किंग का प्रविधान है। वह कहीं नहीं है।


“पेड़ों और अन्य निर्माण से साइनेज बोर्ड के ढक जाने तथा लेन मार्किंग के न होने की समस्या आम है। दिल्ली में बड़ी समस्या यहां की सड़कों पर यातायात नियमों के मानकों के लिए आधारभूत संरचनाओं का पूरा होना तथा खुद एजेंसियों का इसकी जानकारी न होना है। ऐसे में यातायात नियमों के पालन तथा दुर्घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रहा है।“

-अनुराग कुलश्रेष्ठ, अध्यक्ष, ट्रैक्स एनजीओ


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