दिल्ली हाई कोर्ट ने वकील पर शुरू की अवमानना की कार्यवाही, न्यायपालिका और न्यायाधीशों पर लगाए थे झूठे आरोप_deltin51

deltin33 2025-10-2 06:36:03 views 1258
  न्यायपालिका व न्यायाधीशों को भ्रष्ट बताने वाले वकील पर शुरू की अवमानना की कार्यवाही।





जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। न्यायपालिका और न्यायाधीशों को भ्रष्ट बताने के साथ ही न्यायिक संस्था पर अपमानजनक आरोप लगाने वाले वकील के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू की है।

न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया वकील ने न्यायालय अवमानना अधिनियम- 1971 की धारा 2(सी) के तहत आपराधिक अवमानना की है।

अदालत ने संबंधित वकील के खिलाफ आगे की कार्यवाही के लिए मामले को 19 नवंबर तक के लिए सूचीबद्ध कर दिया। साथ ही वकील को पेश होने का निर्देश दिया।





वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग करते हुए 2023 में याचिका दायर की गई थी। दिसंबर 2023 में वकील ने संबंधित पीठ के समक्ष पेश होकर न्यायाधीशों के खिलाफ आरोप लगाने के लिए बिना शर्त माफी मांगी और कहा कि वह भविष्य में ऐसा कभी नहीं करेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जनवरी 2024 में उससे जुड़े एक दीवानी मुकदमे में अवमानना का कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद न्यायिक आदेश का उल्लंघन करने और न्यायपालिका पर निंदनीय आरोप लगाने के लिए अवमानना याचिका दायर की गई।new-delhi-city-local,New Delhi City news,DDA helpline,customer service improvement,call center service provider,New Delhi DDA,DDA customer support,helpline management,city news,Delhi development authority,Delhi news   



सुनवाई के दौरान संबंधित पीठ ने वकील द्वारा लिखे गए एक ईमेल का संज्ञान लिया था। जिसमें न्यायपालिका और न्यायाधीशों के विरुद्ध अत्यंत निंदनीय, अपमानजनक और अवमाननापूर्ण आरोपों के साथ-साथ मानहानि के तथ्य मौजूद थे।

अवमानना के कारण बताओ नोटिस के जवाब में वकील ने कहा था कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के कारण उसने अपनी युवावस्था के बहुमूल्य 10 वर्ष गंवा दिए और अब न्यायपालिका चाहती है कि वह सब कुछ भूलकर भ्रष्ट न्यायपालिका द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों का सहारा ले।



पेश किए गए दस्तावेज का अवलोकन करने पर पीठ ने पाया कि वकील द्वारा न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे और यह अवमाननापूर्ण प्रकृति के थे। पीठ ने कहा कि यह अदालत के अधिकार को कम करने और बदनाम करने के समान है।

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