प्रदेश सरकार लाभांंश वितरण नीति-2025 में लाभांश भुगतान में शेयरों को सम्मिलित करने को करेगी संशोधन। प्रतीकात्मक
रविंद्र बड़थ्वाल, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड के सार्वजनिक क्षेत्र के निगम-उपक्रम (पीएसयू) आने वाले समय में अपने शेयरों के माध्यम से बाजार को लुभाते नजर आएंगे। शेयरों का मूल्य बढ़ाने और शेयरधारकों की आवश्यकता को महसूस कर लाभांश वितरण नीति के अंतर्गत शेयर बायबैक, बोनस शेयर और शेयर विभाजन जैसे प्रविधान सम्मिलित होंगे। इसके लिए नीति को पुनरीक्षित किया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लाभांश वितरण नीति के माध्यम से पुष्कर सिंह धामी सरकार ने सक्रिय पीएसयू को सशक्त और लाभकारी बनाने की ठोस पहल की ही है, साथ में उपक्रमों में राजनीतिक और अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप को न्यून करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। प्रदेश में ऊर्जा के तीन निगम हों या पेयजल निगम या गढ़वाल मंडल विकास निगम समेत कुल 33 पीएसयू हैं। इनमें में नौ निष्क्रिय हैं, जबकि 24 सक्रिय हैं। सक्रिय उपक्रमों में लाभ की स्थिति में रहे दो उपक्रमों ने लाभांश दिया।
पांच ऐसे भी हैं, जिन्होंने लाभ तो कमाया, लेकिन राजकोष में योगदान के नाम पर ठन-ठन गोपाल। यानी एक भी रुपये का लाभांश के रूप में योगदान नहीं दिया। 17 उपक्रम हानि में हैं। प्रदेश सरकार ने पहली बार साहसिक निर्णय लेकर सभी उपक्रमों को लाभांश वितरण नीति के दायरे में ला खड़ा किया है। यानी अपनी दशा सुधारिये और प्रति वर्ष 20 प्रतिशत लाभांश सरकारी खजाने में जमा कराइये। लाभांश वितरण नीति लागू की जा चुकी है।
प्रदेश के पीएसयू ने दिया मात्र 2.3 प्रतिशत लाभांशं
सार्वजनिक उपक्रमों की स्थिति का सहज अंदाजा वर्ष 2022-23 के आंकड़ों से लग सकता है। राज्य के पीएसयू पर सरकार ने जो पूंजी लगाई, उस पर लाभांश का भुगतान 2.3 प्रतिशत रहा। वहीं, इसी अवधि में गुजरात के पीएसयू ने 15 प्रतिशत और वर्ष 2021-22 में ओडिशा के एसपीयू ने 60 प्रतिशत लाभांश भुगतान किया। केंद्र सरकार के साथ गुजरात, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने सार्वजनिक उपक्रमों के लाभांश वितरण और पूंजी पुनर्गठन को नीतियां लागू की हैं।
लाभांश वितरण नीति के प्रविधान
- सभी पीएसयू को हर वित्तीय वर्ष में कर के बाद लाभ का न्यूनतम 20 प्रतिशत वार्षिक लाभांश देना होगा।
- पिछले वित्तीय वर्ष के लिए लाभांश का भुगतान चालू वित्तीय वर्ष के 31 अक्टूबर तक गैर लेखापरीक्षित लेखों के अनुसार या वैधानिक लेखापरीक्षित खातों की तैयारी के 30 कैलेंडर दिनों के भीतर, जो भी पहले हो किया जाना है।
‘पीएसयू को लाभांश वितरण नीति के माध्यम से सुधार के लिए प्रेरित किया गया है। इससे उनमें पूंजी निवेश के अनुकूल वातावरण बनेगा। लाभ की स्थिति में आने की उनकी इच्छाशक्ति बढ़ेगी।’
-दिलीप जावलकर, वित्त सचिव, उत्तराखंड
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