1149 गांवों मेंं फैले यीडा क्षेत्र का मुट्ठी भर विकास, अधिसूचित क्षेत्र में कटौती पर विचार
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। छह जिलों में करीब तीन लाख हेक्टेयर में फैले यमुना प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में कटौती की जा सकती है। प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में गठित शासन की समिति इस बारे में गंभीरता से मंथन कर रही है। समिति अधिसूचित क्षेत्र को कम किए बैगर भी क्षेत्र के विकास के लिए अपने सुझाव दे सकती है। इसके तहत अधिसूचित क्षेत्र में निजी कंपनियों के सहयोग से नियोजित विकास के विकल्प को चुना जा सकता है। यीडा इसमें निगरानी व नियंत्रण एजेंसी के तौर पर काम करेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
क्षेत्रफल तकरीबन तीन लाख हेक्टेयर
प्रदेश सरकार ने यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए 2001 में यीडा का गठन किया था। इसमें छह जिलों गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, मथुरा और आगरा के 1189 गांवों को अधिसूचित किया गया था, लेकिन जिलों में नगर पंचायतों के गठन एवं विस्तारण के कारण यीडा में अब 1149 गांव अधिसूचित है और इसका क्षेत्रफल तकरीबन तीन लाख हेक्टेयर है।
नए शहर के विकास का खाका तैयार
यीडा अभी तक फेज एक के विकास से आगे नहीं बढ़ पाया है। फेज एक मेंं गौतमबुद्ध नगर व बुलंदशहर के 225 गांव हैं, लेकिन मास्टर प्लान 2041 में 107 गांवों को ही शामिल किया गया है। यानि दोनों जिलों के 107 गांवों को यीडा 2041 तक विकास कर पाएगा। फेज एक में नियोजित क्षेत्रफल तकरीबन 37 हजार हे. है। फेज दो मेंं शामिल अलीगढ़ जिले के टप्पल बाजना, मथुरा जिले में राया अर्बन सेंटर 11से 14 हजार हे. में नियोजित किया गया है। इसके अलावा आगरा जिले में न्यू आगरा का 14 हजार हे. और हाथरस में 10 हजार हे. में नए शहर के विकास का खाका तैयार कराया जा रहा है।
यीडा सीईओ को भी समिति में सदस्य बनाया
यीडा को फेज एक और दो को मिलकर करीब एक लाख हे. क्षेत्र का विकास करने में ही दशकों लग जाएंगे। जबकि दो लाख हे. से अधिक अधिसूचित क्षेत्र के लिए यीडा के पास भी अभी काेई योजना नहीं है। इस क्षेत्र में रहने वालों को विकास में पिछड़ने की आशंका यीडा के साथ शासन को भी सताने लगी है। इसलिए शासन ने यीडा के अधिसूचित क्षेत्र को लेकर गंभीर मंथन शुरू कर दिया है। नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। यीडा सीईओ को भी समिति में सदस्य बनाया गया है। यीडा सीईओ राकेश कुमार सिंह का कहना है कि अधिसूचित क्षेत्र के सभी गांवों के समग्र विकास के लिए समिति विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है।muzaffarpur-general,Muzaffarpur News,Muzaffarpur Latest News,Muzaffarpur News in Hindi,Muzaffarpur Samachar,I Love mehadev poster,Dalsinghsarai poster controversy,Bihar religious sentiments,I Love Mohammad poster,local market tensions,religious harmony Bihar,poster controversy reaction,Dalsinghsarai news,social harmony,political controversy,Bihar news
दूसरे विकल्पों पर भी विचार
गांवों के विकास के लिए यीडा के अधिसूचित क्षेत्र से बाहर किया जा सकता है। अधिसूचित क्षेत्र से बाहर होने पर गांवों पर औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तहत लगने वाली पाबंदी समाप्त हो जाएंगी। गांवों का विकास अन्य गांवों की तरह हो सकेंगे। ग्रामीण अपनी जमीन पर निर्माण, उद्योग लगाने के लिए स्वतंत्र होंगे। लेकिन इससे यीडा के नियोजित शहर के आस पास अनियोजित विकास तेजी से बढ़ने के कारण समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
यीडा की एनओसी जरूरी
इसके अलावा दूसरे विकल्प के तौर पर अधिसूचित क्षेत्र में कटौती किए बगैर सीमित गतिविधियों के विकास के लिए अनुमति दी जा सकती है। इससे क्षेत्र की जरूरत को पूरा करने के लिए अस्पताल, संस्थान आदि का निर्माण हो सकेगा, लेकिन इसके लिए यीडा से अनापत्ति लेना अनिवार्य होगा। तीसरे विकल्प में सलाहकार एजेंसी के जरिये अधिसूचित क्षेत्र में क्लस्टर का नियोजन कर निजी क्षेत्र को उसके विकास के लिए अनुमति दी जा सकती है, लेकिन इसके लिए भी यीडा की एनओसी जरूरी होगी।
50 साल में बीस हजार हे. विकास हो पाया नोएडा
यीडा के अधिसूचित क्षेत्र के विकास को लेकर चिंता ऐसे ही नहीं बढ़ी है। नोएडा के गठन को करीब 50 साल हो गए हैं, नोएडा को 20 हजार हे. अधिसूचित क्षेत्र का विकास करने में इतना वक्त लगा है। विकास की इस गति को देखते हुए यीडा के अधिसूचित क्षेत्र का नियोजित विकास में कई दशक लग जाएंगे।
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