देवी मां दुर्गा को कैसे प्रसन्न करें?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 28 नवंबर को मासिक दुर्गा अष्टमी है। यह दिन पूर्णतया देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर जगत जननी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार संकटों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषियों की मानें तो मासिक दुर्गा अष्टमी पर रवि योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। आइए, इन योग के बारे में जानते हैं-
मासिक दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Durga Ashtami Shubh Muhurat)
अगहन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 नवंबर को देर रात 12 बजकर 29 मिनट पर प्रारंभ होगी और समाप्ति 29 नवंबर को देर रात 12 बजकर 15 मिनट पर होगी। उदया तिथि अनुसार 28 नवंबर को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी।
हर्षण योग
दुर्गा अष्टमी पर रवि हर्षण का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 10 बजकर 05 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 29 नवंबर को सुबह 09 बजकर 27 मिनट पर होगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
अभिजीत मुहूर्त
अगहन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग है। इस योग का संयोग दिन में 11 बजकर 54 मिनट से हो रहा है, जो दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक है। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
नक्षत्र एवं योग
अगहन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शतभिषा नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही बव करण का संयोग है। इन योग में मां की पूजा भक्ति करने से सकल मनोरथ सिद्ध होंगे। साथ ही घर में खुशियों का आगमन होगा।
माँ सिद्धिदात्री देवी स्तोत्र
!! ध्यान !!
वन्दे वांछितमनरोरार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
कमलस्थिताचतुर्भुजासिद्धि यशस्वनीम्॥
स्वर्णावर्णानिर्वाणचक्रस्थितानवम् दुर्गा त्रिनेत्राम।
शंख, चक्र, गदा पदमधरा सिद्धिदात्रीभजेम्॥
पटाम्बरपरिधानांसुहास्यानानालंकारभूषिताम्।
मंजीर, हार केयूर, किंकिणिरत्नकुण्डलमण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनापल्लवाधराकांत कपोलापीनपयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांक्षीणकटिंनिम्ननाभिंनितम्बनीम्॥
!! स्तोत्र !!
कंचनाभा शंखचक्रगदामधरामुकुटोज्वलां।
स्मेरमुखीशिवपत्नीसिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥
पटाम्बरपरिधानांनानालंकारभूषितां।
नलिनस्थितांपलिनाक्षींसिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥
परमानंदमयीदेवि परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति,परमभक्तिसिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥
विश्वकतींविश्वभर्तीविश्वहतींविश्वप्रीता।
विश्वचताविश्वतीतासिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारणीभक्तकष्टनिवारिणी।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्रीनमोअस्तुते।।
धर्माथकामप्रदायिनीमहामोह विनाशिनी।
मोक्षदायिनीसिद्धिदात्रीसिद्धिदात्रीनमोअस्तुते॥
माता सिद्धिदात्री देवी कवच
ओंकार: पातुशीर्षोमां, ऐं बीजंमां हृदयो ।
हीं बीजंसदापातुनभोगृहोचपादयो ॥
ललाट कर्णोश्रींबीजंपातुक्लींबीजंमां नेत्र घ्राणो ।
कपोल चिबुकोहसौ:पातुजगत्प्रसूत्यैमां सर्व वदनो ॥
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