सुनील राज, पटना। बिहार की नवगठित सरकार में उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा दांव काम आ गया। उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। हालांकि, दीपक प्रकाश फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं है। बावजूद उनके मंत्री बनने के पीछे उपेंद्र कुशवाहा की कुशल राजनीति का हाथ माना जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने छह विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। उनकी पार्टी चार सीटों पर चुनाव जीतने में सफल रही। जिसके बाद यह अनुमान लगाया जा रहा था कि उनके विजयी विधायकों में कम से कम एक को नीतीश कैबिनेट में जरूर जगह मिलेगी।
शपथ ग्रहण के एक दिन पहले तक यह चर्चा आम थी कि चुनाव जीतने वाली उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता को मंत्री पद मिल सकता है, लेकिन गुरुवार को गांधी मैदान में शपथ ग्रहण के ऐन पहले समीकरण बदल गए।
स्नेहलता जिन्होंने सासाराम सीट से विधायक चुना गया उनके नाम के बदले नीतीश कैबिनेट में कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
सूत्रों की माने तो इस पूरे घटनाक्रम को सीट बंटवारे के समय उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। बता दें कि चुनाव के पहले सीटों के बंटवारे में कुशवाहा की पार्टी का महुआ सीट भी मिली थी। लेकिन बाद में यह सीट उनसे वापस ले ली गई।
जिसे लेकर कुशवाहा ने काफी नाराजगी जाहिर की थी। जिसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप किया और कुशवाहा से दिल्ली में उनकी मुलाकात भी हुई।
सूत्रों की माने तो शाह-कुशवाहा की मुलाकात में उनकी पार्टी को एक विधान पार्षद का पद देने का प्रस्ताव दिया गया जिसे कुशवाहा ने मान लिया। कुशवाहा शाह के इसी वादे को आधार बनाकर पुत्र दीपक प्रकाश को मंत्री पद दिलाने में सफल रहे।
अब यह तय है कि दीपक प्रकाश को जल्द की उच्च सदन में जगह मिल जाएगी। क्योंकि छह महीने के अंदर दीपक को किसी सदन की सदस्यता प्राप्त करनी होगी। अपने इस कदम से कुशवाहा ने एक तीर से दो निशाना साधा है। एक तो बेटे को मंत्री बनाने में सफल रहे साथ ही पुत्र को उच्च सदन भेजने में भी सफल हो गए।
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