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ताइवान विवाद को लेकर चीन और जापान के रिश्तों ...

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ताइवान विवाद के बीच चीन ने जापानी सीफूड पर लगाया बैन  

टोक्यो/बीजिंग। ताइवान को लेकर चीन और जापान के बीच रिश्तों में इस कदर कड़वाहट आ गई है कि बात सीफूड बैन तक पहुंच गई है। बुधवार को जापानी और चीनी मीडिया रिपोर्ट्स ने इसका दावा किया।  
चीन ने जापानी सीफूड आयात पर अगस्त 2023 में भी पाबंदी लगाई थी। तब फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट के वेस्टवॉटर को लेकर दूरी बढ़ी थी। तब चीन ने जापानी सीफूड पर बैन लगा दिया था। इससे जापान को बहुत नुकसान हुआ था, क्योंकि चीन जापान का सबसे बड़ा खरीदार था।  




जून 2025 में चीन ने आंशिक रूप से बैन हटाया था, जिसके बाद लगभग 700 जापानी निर्यातक फिर से रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर चुके थे। लेकिन केवल 3 को मंजूरी मिली थी।  
19 नवंबर को चीन ने इसे फिर से पूर्ण रूप से बहाल कर दिया। जापानी कृषि मंत्री नोरिकाज़ु सुजुकी ने कहा कि यह निर्यातकों के लिए बड़ा झटका है। 2023 में जापान के कुल सीफूड निर्यात का 15.6 फीसदी हिस्सा चीन जाता था।  
हाल में पीएम साने ताकाइची के ताइवान को लेकर दिए बयान से विवाद आगे बढ़ा। ताकाइची ने संसद में कहा था कि “ताइवान में संकट का मतलब जापान में संकट है” और जापान "सामूहिक आत्मरक्षा के नाम पर सैन्य कार्रवाई कर सकता है।"  




तनाव उस समय और गहरा गया जब मंगलवार को चीन के विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के महानिदेशक लियू जिनसॉन्ग की जापान के विदेश मंत्रालय के एशियाई और ओशिनिया ब्यूरो के महानिदेशक मसाकी कनाई से बैठक हुई। लियू ने बैठक के बाद कहा कि परिणाम “असंतोषजनक” रहे और जापान ने चीन की चिंताओं को दूर करने के लिए “कोई ठोस कदम” नहीं उठाया।  
वहीं, जापानी विदेश मंत्रालय के अनुसार, बैठक ज्यादातर पूर्व में दिए गए आधिकारिक बयानों की पुनरावृत्ति साबित हुई। चीन ने दोहराया कि जब तक सांसद ताकाईची अपना बयान वापस नहीं लेतीं, तब तक बीजिंग पहले से लागू कदमों को हटाने का इरादा नहीं रखता।  




चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के शोधकर्ता जियांग हाओयू के हवाले से लिखा: “टोक्यो चाहे तो तनाव कम करने के लिए दूत भेजे या समझाने की कोशिश करे, लेकिन चीन का रुख साफ है—जब तक ताकाईची अपना बयान वापस नहीं लेंगी, कोई भी राजनयिक स्पष्टीकरण स्थिति को हल नहीं कर सकता।”  
ताइवान को लेकर बढ़ते तनाव के बीच चीन और जापान के रिश्तों में पिछले कुछ दिनों में नई कड़वाहट जुड़ गई है। विवाद की शुरुआत तब हुई जब जापान की एक वरिष्ठ सांसद ने संसद में कहा कि “सबसे खराब स्थिति”—जैसे कि चीन द्वारा ताइवान के आसपास समुद्री मार्गों की नाकाबंदी—में जापान को सैन्य हस्तक्षेप पर विचार करना पड़ सकता है। बीजिंग ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए तुरंत मांग की कि टिप्पणी वापस ली जाए।  




ताकाइची की 7 नवंबर को की गई टिप्पणी के बाद चीन ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की। चीन ने अपने नागरिकों को जापान की यात्रा से सावधान रहने की सलाह दी, साथ ही छात्रों को जापान में पढ़ाई के लिए सतर्क रहने की हिदायत दी गई।  
तनाव अब सांस्कृतिक और मनोरंजन क्षेत्र तक भी पहुंच चुका है। जापान की प्रसिद्ध मनोरंजन कंपनी योशिमोटो कोग्यो ने मंगलवार को घोषणा की कि “अनिवार्य परिस्थितियों” के कारण उसने शंघाई इंटरनेशनल कॉमेडी फेस्टिवल में अपने शो रद्द कर दिए हैं।  







Deshbandhu Desk



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